Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

प्रेम गीत : देख रहा जमाना

प्रेम गीत : देख रहा जमाना
webdunia

शम्भू नाथ

मैं हूं तेरा दीवाना
तू नहीं करीब मेरे
मैं तेरे आसपास हूं।
 
तेरी तस्वीर को
ले के घूमता हूं
तेरा नाम लेके
नशे में झूमता हूं
तू एक बार हां कह दे
मैं तेरा बिछुड़ा यार हूं।
 
मुझे पता है
तू बेवफा निकल गई
तेरी तकदीर
औरों से मिल गई
तेरी तरह मैं तो नहीं
नमकहलाल हूं।
 
अब तेरे आंसुओं को
पोंछने की तमन्ना है
सपने सजाने का
लिखा जो रवन्ना हूं
संग रहू तो अंगारा
अकेले के लिए राख हूं।
 
जाते-जाते जगवालों से
एक छोटी-सी अरदास है
बहुत जरूरी नहीं है भैया
छोटा-बड़ा एक काम है।
 
हिल-मिलकर रहने से
अंबर भी शीश झुकाते हैं
प्रेमभाव को देखकर
बैरी भी कतराते हैं
पापी पाप छोड़ देते हैं
कहते ये अपराध है।
 
पथ से अपने न पैर हटाना
मरते दम तक प्यारे वीर
प्राण निछावर कर देना
पर नहीं झुकाना दुश्मन को शीश
सब प्राणी को खुशियां देना
यही तेरा उपहार है।
 
ऊंच-नीच की बात न करना
न हिन्दू-सिख-ईसाई की
सब सज्जन से हाथ मिलाना
बात करना सच्चाई की।
 
न दर्द मिटा न घाव भरा
ये कैसी बीमारी है
अब जाने की बारी है।
 
बचपन में किया खेलकूद
जवानी में जंप लगाया
नौकरी की खातिर घूम-घूमकर
अफसर से टकराया
फिर भी कोई बात बनी नहीं।
 
सूखी पड़ी ये क्यारी है
ये कैसी बीमारी है।
 
संघर्ष कठिन किया जीवन में
कुछ अरमान हुए पूरे
कोशिश की बहुत ही हमने
कुछ अरमान रह गए अधूरे
आशा मेरी निराशा में बीती।
 
बिलकुल थाली खाली है
राम नाम मैं जप न सका
कहां फुर्सत रही जमाने में
फिर भी हासिल कुछ कर न सका।
 
दो कौड़ी बची है खजाने में
उनका संदेशा आ चुका है
कहते तेरी बारी है
ये कैसी बीमारी है।
 
नफरत ने नहीं, कुदरत ने सही
फरमान सुनाया है
इसीलिए मिलने की खातिर
घर पे आया है।
 
जब पढ़ते थे कॉलेज में
हुम्मा-हम्मी होती थी
देखके उसकी आदत को
छुपकर मैं रोती थी। 
 
बहुत दिनों के बाद आज
वो दिन आया है
इसीलिए मिलने की खातिर
घर पे आया है।
 
मिस्कॉल अगर मैं करती
वह कॉलबैक नहीं करता
लोक-लाज घर वालों से
मेरे बहुत वह डरता।
 
फिर भी उसको पसंद थी मैं
जो फूल वह लाया है
इसीलिए मिलने की खातिर
घर पे आया है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

चटपटा गार्लिक मैंगो सॉस