Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

हिन्दी कविता : प्रेम के बेल बूटे सजाया करूंगी...

निधि सक्सेना
तुम ने मुस्कुरा कर कहा
इस घर और मुझ पर अब तुम्हारा पूर्ण अधिकार है
मैं अपना सर्वस्व सदा के लिए तुम्हें सौंप रहा हूं
उसी क्षण मैं तुमसे एक प्रगाढ़ बंधन में बंध गई
तुम पर अधिकार मेरी आश्वस्ति था
तुम केवल मेरे हो ये विश्वास मेरी साधना थी..
यूं मुझे निर्जीव वस्तुओं पर अधिकार जमाना अच्छा लगता है
जैसे घर की दीवारें
जैसे कोई परिधान या कोई आभूषण
कि वो अधिकारों के बोझ से कसमसाते या मुकरते नहीं..
अपने नन्हे शिशु से भी मुझे
असीम प्रेम है
कि मेरा अधिकार ही उसका जीवन है..
परंतु कभी कभी
जब तुम कुछ अन्यमनस्क होते हो
या बेपरवाह  बेफ़िक्र होते हो
या कुछ विरक्त दिखाई देते हो
या अपने पुरुषत्व के अहं में लीन रहते हो
तब तुम्हारे ऊपर अपने अधिकार पर संशय होने लगता है
प्रेमाधिकार जताना कठिन हो जाता है
तब प्रेम की वीणा असाध्य लगने लगती है
कर्तव्य बोझिल लगने लगते हैं..
सुनो अधिकार का आश्वासन ही
स्त्री को अविभाज्य रखता है
तुम अधिकारों की सतलड़ी पहनाते रहो
मैं कर्तव्यों पर प्रेम के बेल बूटे सजाया करूंगी...

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

धनतेरस सजावट : ऐसे करें घर को इन खूबसूरत चीजों से डेकोरेट, आयेगी फेस्टिवल वाली फीलिंग

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

फ्यूजन फैशन : इस दिवाली साड़ी से बने लहंगे के साथ करें अपने आउटफिट की खास तैयारियां

अपने बेटे को दीजिए ऐसे समृद्धशाली नाम जिनमें समाई है लक्ष्मी जी की कृपा

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

सभी देखें

नवीनतम

Diwali 2024 : दीपावली के लिए परफेक्ट मैनीक्योर टिप्स, घर बैठे पाएं पार्लर जैसा निखार

Diwali 2024 Outfit Tips : दीपावली पर सूट को करें यूं स्टाइल, हर कोई करेगा आपकी तारीफ

सिखों के 7वें गुरु, गुरु हर राय जी की पुण्यतिथि, जानें 5 खास बातें

जर्मनी का आधा मंत्रिमंडल इस समय भारत में

एक खोया हुआ ख़ज़ाना जिसने लाओस में भारतीय संस्कृति उजागर कर दी

આગળનો લેખ
Show comments