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दुनिया को नई महिला सुपरस्टार दे गया रियो ओलंपिक

दुनिया को नई महिला सुपरस्टार दे गया रियो ओलंपिक
रियो डि जेनेरियो , सोमवार, 22 अगस्त 2016 (15:35 IST)
रियो डि जेनेरियो। जिम्नास्टिक में अफ्रीकी अमेरिकी सिमोन बाइल्स से लेकर कुश्ती में साक्षी मलिक और ब्राजील की जूडो स्वर्ण परी राफेला सिल्वा के रूप में रियो खेलों से दुनिया को कई नई स्टार महिला खिलाड़ी मिली।


 
उसेन बोल्ट और माइकल फेल्प्स रियो ओलंपिक में पुरुष ट्रैक एवं फील्ड और तैराकी के वैश्विक सुपर स्टार के रूप में उतरे थे। 
 
लेकिन खेलों में पदार्पण करते हुए सिमोन रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए जिम्नास्टिक में 4 स्वर्ण और 1 कांस्य पदक जीतकर नई सुपरस्टार के रूप में उभरी। 19 साल की सिमोन 2012 में गैबी डगलस के बाद ऑलराउंड खिताब जीतने वाली दूसरी अफ्रीकी अमेरिकी खिलाड़ी बनी। उन्हें समापन समारोह के लिए अमेरिकी दल का ध्वजवाहक भी चुना गया।
 
सिमोन ने कहा कि मैं अगली उसेन बोल्ट या माइकल फेल्प्स नहीं हूं। मैं पहली सिमोन बाइल्स हूं। बाइल्स की सफलता के बावजूद रियो खेलों में लिंगभेद देखने को मिला, जहां पुरुषों के लिए 169 जबकि महिलाओं के लिए 137 स्पर्धाएं हुईं।
 
महिलाओं ने हालांकि खेलों के दौरान कई उपलब्धियां हासिल कीं। जूडो खिलाड़ी मालिंदा केलमेंडी ने कोसोवो को उसके पहले खेलों में स्वर्ण पदक दिलाया जबकि मोनिका पुइग ने प्युर्तो रिको की झोली में टेनिस का स्वर्ण पदक डाला।
 
रियो के हिंसक, गरीबी वाले सिटी ऑफ गॉड स्लम में पली-बढ़ी 24 साल की राफेला का खेलों के समापन के दौरान आईओसी अध्यक्ष थॉमस बाक ने विशेष तौर पर जिक्र किया।
 
साक्षी ने भी बताया कि किस तरह पुरुषों के दबदबे वाले क्षेत्र से निकलकर वह भारत की ओर से ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनी। नई दिल्ली से 76 किमी दूर रोहतक की रहने वाली 23 साल की साक्षी ने बताया कि जब उन्होंने कुश्ती शुरू की तब स्थानीय लोगों ने उनके माता-पिता की आलोचना की थी। 
 
समापन समारोह में भारत की ध्वजवाहक साक्षी ने कहा कि मैं कहना चाहती हूं कि अगर आप लड़कियों को आत्मविश्वास दें तो वे काफी कुछ कर सकती हैं। रियो में इस बार पश्चिम एशिया से महिलाओं ने प्रतिनिधित्व का नया रिकॉर्ड बनाया।
 
हिजाब पहनकर उतरी भारोत्तोलक सारा अहमद पोडियम में जगह बनाने वाली मिस्र की पहली महिला खिलाड़ी बनी, जब वह 255 किग्रा वजन उठाकर तीसरे स्थान पर रही। इनेस बोबाकरी ने तलवारबाजी में अरब जगत को पहला पदक दिलाया। उन्होंने अपने पदक को ट्यूनीशिया की महिलाओं और अरब जगत की महिलाओं को समर्पित किया।
 
अमेरिका की तलवारबाज इब्तिहाज मुहम्मद दुनिया को यह दिखाने में सफल रही कि मुस्लिम अमेरिकी महिलाएं एलीट खेलों में हिस्सा ले सकती हैं। न्यूजर्सी की 30 साल की इब्तिहाज हिजाब पहनने वाली अमेरिका की पहली ओलंपियन हैं। उन्होंने महिला टीम सेबर स्पर्धा में कांस्य पदक जीता।
 
रियो में हिस्सा लेने वाले कुल 11,444 खिलाड़ियों में 45 प्रतिशत यानी 5,175 महिलाएं थीं, जो लंदन 2012 खेलों की तुलना में कुछ अधिक हैं। (भाषा)

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