बीजिंग। रियो ओलंपिक समापन की ओर है और चीन पिछले 20 साल में अपने सबसे खराब प्रदर्शन से काफी दुखी है जिसके कारण वह पदक तालिका में अमेरिका और ब्रिटेन के बाद खिसककर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है जिससे उसकी राज्य प्रायोजक खेल प्रणाली के असर पर सवाल उठ रहे हैं।
चीन 2008 में पहली बार पदक तालिका में शीर्ष पर रहा था जब उसने बीजिंग में ओलंपिक खेलों की मेजबानी की थी। चीन उसमें 51 स्वर्ण से 100 पदक जीतकर पहले स्थान पर रहा था जबकि अमेरिका के इसमें 36 स्वर्ण पदक से 110 पदक थे। इनके चार साल बाद लंदन 2012 ओलंपिक में चीन 38 स्वर्ण के साथ पदक तालिका में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर रहा जिसके 46 स्वर्ण पदक थे।
शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार, रियो में चीन ने अभी तक 26 स्वर्ण पदक अपने नाम किए हैं जो उसका अटलांटा 1996 के बाद सबसे खराब प्रदर्शन है जबकि ब्रिटेन ने तब 27 स्वर्ण और अमेरिका ने 42 स्वर्ण पदक जीते थे। रियो खेलों से पहले चीन को पूरा भरोसा था कि वह शीर्ष दो में रहेगा।
चीन के राज्य खेल महाप्रबंधक ने रियो खेलों से पहले जारी हुई पांच साल की योजना में कहा था, रियो 2016 ओलंपिक में हमारा लक्ष्य खेल स्पर्धाओं और परिणाम स्थानों में इस बढ़त को जारी रखना और मजबूत करने का है। लेकिन चीन का यह खराब प्रदर्शन उसके वर्चस्व वाली स्पर्धाएं जैसे जिमनास्टिक और बैडमिंटन में रहा है जो सभी के लिए हैरानी भरा है।
चीन के शीर्ष बैडमिंटन स्टार लिन डैन कांस्य पदक भी हासिल नहीं कर सके जिन्होंने भारत के के श्रीकांत को पराजित किया था। ब्रिटेन जहां अपने दूसरे स्थान का जश्न मना रहा है, वहीं चीन की अधिकारिक मीडिया ने टीम के गिरते हुए प्रदर्शन पर अपनी नाराजगी जाहिर की।
शिन्हुआ ने अपने अधिकारिक ट्विटर खाते (अब यह पोस्ट हटा दी गई है) में लिखा, आप मजाक कर रहे हो? जो देश कभी चीन के ऊपर नहीं रहा, वह अब ऊपर आने वाला है। हांगकांग के साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट ने रियो खेलों पर अपनी कमेंटरी में कहा, क्या गलत हुआ? यह सवाल रियो खेलों के समाप्त होने के बाद लंबे समय तक रहेगा, लेकिन कारणों को ढूंढना और इनके निवारण से उम्मीद है कि चीन की राज्य प्रायोजक खेल प्रणाली नए स्तर तक पहुंच जाएगी।
चीन ने रियो खेलों में 710 एथलीट, कोच और अधिकारी भेजे थे जो उसका अब तक का सबसे बड़ा दल था और देश में सभी को स्वर्ण पदकों की तालिका में दूसरे स्थान की उम्मीद थी जैसे कि उसने चार साल पहले लंदन में हासिल की थी।
चीन के दल में 35 ओलंपिक स्वर्ण पदकधारी जिसमें से 27 ने लंदन और बीजिंग में पदक जीते थे। चीन के सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी रूस को भी इस बार अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के कई एथलीटों को डोपिंग के संदेह में प्रतिबंधित करने के फैसले से करारा झटका लगा था। (भाषा)