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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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आखि‍र क्यों है सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा? ये रहे 5 कारण

आखि‍र क्यों है सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा? ये रहे 5 कारण
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प्रीति सोनी

भारत, इंडिया, हिंदुस्तान, हिंदोस्तां या फिर भारत माता...किसी भी नाम से पुकारें लेकिन हर भारतवासी के मन में भाव यही गूंजता है, कि सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा...। मातृभूमि के प्रति तो हर ना‍गरिक का ऐसा भाव होना लाजमी है, लेकिन भारत की कुछ विशेषताएं ऐसी भी हैं जो पूरी दुनिया में इसे सबसे अलग, आकर्षक और खूबसूरत बनाती हैं। जानिए ऐसी ही 5 विशेषताएं...जिन्हें जानने के बाद आप फिर कह उठेंगे, सारे जहां से अच्छा, हिंदोस्तां हमारा...
 
1 भारतीय संस्कृति - भारतीय संस्कृति के अनगिनत पहलू इसे और भी रंगबिरंगा, खनकदार और आकर्षक बनाते हैं, तभी तो पश्चिमी देशों के लोग इस मिट्टी की सौंधी महक लेने बड़ी संख्या में इधर का रूख करते हैं। इतना ही नहीं, इस मिट्टी के प्रेम के रंग में रंगकर कितनी ही विदेशी युवतियां यहीं बस जाने की चाह से भारतवासी होकर रह गईं। कभी योग ने दुनिया को अपनी ओर साधा, तो कभी आध्यात्म की परम शांति ने स्वत: ही दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा। कभी अतिथि देवो भव की हमारी परंपरा और अपनत्व की भावना दुनिया के लिए मिसाल बनी, तो कभी कोई अकेलापन अनायास ही यहां के समृद्ध इतिहास की ओर खिंचता चला गया। यह संस्कृति पूरी दुनिया में कहीं नहीं।
 
2 अनेकता में एकता - हां, भारत की सबसे बड़ी विशेषता यह तो है, कि इस यहां हर धर्म, जाति, वर्ग, संप्रदाय और पंथ को मानने वाले लोग एक साथ मिल-जुलकर रहते हैं। साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं और एक दूसरे की संस्कृति का सम्मान करते हैं। जितना दिवाली पर पटाखे जलाए जाते हैं, उतनी ही मिठास ईद की सेवईयों में घुलती है और क्रिसमस के केक का स्वाद भी एकता की महक से सुगंधित होता है। यहां प्रकाश पर्व सभी के लिए जगमगाता है और संक्रांति पर पतंग का कोई धर्म नहीं होता। जन्माष्टमी पर मुस्लिम बच्चा भी कृष्ण होता है और ईद पर सभी से भाईचारा। शायद यही कारण है कि यह देश संतुष्ट है, खुशहाल है... क्योंकि यहां की जलवायु में अपनेपन और एकता की ठंडक है, जो सुकून देती है।
 
3 पारंपरिक व्यंजन - दुनियाभर में भले ही नए-नए व्यंजनों की भरमार हो, लेकिन भारत के पारंपरिक व्यंजनों का मजा दुनिया के किसी भी कोने में नहीं मिल सक ता। चाहे महाराष्ट्रीयन पूरन पोली हो, या दही वड़ा, राजस्थानी प्याज की कचौड़ी हो या मिर्चीवड़ा, बैंगन का भर्ता हो या सरसों का साग, मक्के की रोटी हो या फिर आलू के पराठे। चमचम, रसगुल्ले की मिठास हो या जलेगी की चाशनी, गुलाब जामुन और हलवा हो या घर की बनी खीर-पूरी। मुंबई की चाट हो, या दिल्ली की पानी पुरी, पंजाबी तड़का हो या दक्षिण भारतीय नारियल की चटनी, उत्तर-प्रदेश का लिट्टर चोखा हो या गुजरात का खमण-ढोकला, खांडवी और मध्यप्रदेश हर पारंपरिक व्यंजन। दुनिया भर में कहीं भी भारतीय स्वाद और उसके विभिन्न प्रकार नहीं मिलेंगे। तभी तो यहां की जिंदगी भी है कुछ खट्टी-मीठी, कभी तीखी तो कभी नमकीन।
 
4 बोली और भाषा - भारत के इस छोर से उस छोर तक, हर प्रदेश और क्षेत्र में संस्‍कृति की विभिन्नताओं को साफ तौर पर देखा जा सकता है और क्षेत्र के अनुसार ही अलग-अलग भाषा और बोलियों का प्रयोग इस देश को अनोखी मधुर खनक देता है। हिन्दी, मराठी, गुजराती, बंगाली, उड़िया, आसामी, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, मद्रासी जैसी समृद्ध भाषाओं के अलावा प्रत्येक प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में की अपनी बोलियां हैं,जिनके अपने मायने हैं, भाव हैं और अपनेपन का स्वाद है। ऐसा लगता है जैसे ये देश एक चुनरी है और विभिन्न भाषाएं और बोलियां इस पर की गई कारीगरी...अपने-अपने तरीके की, आकर्षक और खूबसूरत।
 
5 रिश्तों का महत्व - ऐसा नहीं है कि अन्य देशों में रिश्तों को महत्व नहीं दिया जाता, लेकिन भारत इस मामले में विशिष्टता रखता है। संयुक्त परिवार, मर्यादा, सम्मान, अपनत्व, स्नेह, त्याग और आत्मीयता के विभिन्न रंग तो यहीं देखने को मिलते हैं, हर रिश्ते को संजोया जो जाता है यहां। यहां हर रिश्ता अनमोल है और हर बंधन एक उत्सव जिसे सिर्फ निभाया ही नहीं बल्कि जिया भी जाता है। कहीं देखा है रिश्तों के प्रति ऐसा समर्पण भाव।

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