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यह राक्षस करता है घर और मंदिर की रक्षा, जानें कैसे हुई इसकी उत्पत्ति

यह राक्षस करता है घर और मंदिर की रक्षा, जानें कैसे हुई इसकी उत्पत्ति

WD Feature Desk

, गुरुवार, 11 जुलाई 2024 (12:13 IST)
Kirtimukha Rakshas Katha : क्या आप सोच सकते हैं कि कोई राक्षस आपके घर या मंदिर की रक्षा करता हो। निश्चित ही आपने इस राक्षस की तस्वीर या मूर्ति देखी होगी लेकिन आपको इनका नाम या इसके कार्यों के बारे में पता नहीं होगा। वैसे जहां तक मंदिरों की बात करें तो अधिकतर मंदिरों में देवता या अवतारों के गण द्वारपाल होते हैं जो वहां की रक्षा करते हैं और यदि हम देवताओं की बात करें तो भैरू महाराज, गरुड़ भगवान और रामदूत हनुमान जी मंदिरों की रक्षा करते हैं। हालांकि हम यहां बात कर रहे हैं एक राक्षस की। ALSO READ: श्रावण मास में शिव पूजा के खास नियम जान लें, मिलेगा महादेव का आशीर्वाद
 
क्या है इस राक्षस का नाम : यह राक्षस ऐसा है जिसकी देवताओं की तरह पूजा होती है क्योंकि यह घर और मंदिरों की रखवाली करता है बशर्ते कि उनकी विधिवत रूप से स्थापना की गई हो। कई लोग इस राक्षस की फोटो अपने घर के बाहर द्वार के ऊपर लगाते हैं या आसपास की दीवारों पर लगाते हैं। इस राक्षस का नाम है कीर्तिमुख।
 
कैसे हुई थी इसकी उत्पत्ति : कहते हैं कि इस राक्षस की उत्पत्ति भगवान शिव ने की थी। धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान शिव तपस्या में लीन थे। उस समय दैत्य राहु ने भगवान शिव पर लगे चंद्रमा को ग्रस लिया। इससे चंद्र ग्रहण हो गया। इसे देखकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए। राहु अपनी शक्ति पर घमंड करता था। शिवजी ने राहु का घमंड चूर करने के लिए अपने ही एक कण से कीर्तिमुख की उत्पत्ति की। शिवजी ने कीर्तिमुख को आदेश दिया की राहु को खा जाओ। यह देखकर राहु घबरा गया और वह शिवजी के चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगा। ALSO READ: शिवलिंग पर चढ़ाया प्रसाद क्यों नहीं खाना चाहिए? जानें महत्व और विधान
 
यह देखकर भोले भंडारी को दया आ गई और उन्होंने उसे क्षमा कर दिया। इसके बाद वे पुन: तपस्या में चले गए तो कीर्तिमुख ने कहा कि प्रभु मुझे बहुत भूख लगी है मैं अब किसे खाऊं? तपस्या में लीन महादेव ने कहा कि तुम खुद को ही खा लो। यह सुनते ही राक्षस ने खुद को ही खाना शुरू कर दिया। फिर जैसे ही महादेव का ध्यान टूटा तो उन्होंने देखा कि कीर्तिमुख अपने पूरे शरीर को खा गया है और अब सिर्फ हाथ और मुख ही बचा है।
 
यह देखकर शिवजी ने उसे रोक और कहा कि मैं तुमसे प्रसन्न हुआ। आज से तुम जहां भी विराजमान होओगे वहां कि नकारात्मक शक्तियों को खा जाओगे। वहां के द्वेश और क्रोध को भी खा जाओगे। इसके बाद से ही कीर्तिमुख को देवताओं की तरह पूजा जाने लगा जोकि घर और मंदिर के आसपास की नकारात्मक शक्तियों को खा जाता है। लोग उसके मुख को घर और मंदिर के बाहर स्थापित करते हैं। बहुत से भारतीय मंदिरों में मुख्य द्वार के ऊपर या गर्भगृह के द्वार पर धड़रहित एक डरावना सिर आप को घूरता या मुस्कुराता नजर आएगा यह कीर्तिमुख है। 
 
कुछ लोगों के अनुसार एक ऐसा व्यक्ति था जिसने योग शक्ति के बल पर कई शक्तियां हासिल कर ली थीं और वह बाद में शिवजी की मजाक उड़ाने और अपमानित करने लगा था। उसे अपनी शक्तियों पर घमंड हो चला था। शिव ने क्रोध में आकर एक राक्षस बनाया और उसे इस योगी को खाने का आदेश दिया। योगी शिवजी के चरणों में गिर गया तो शिवजी ने उसे क्षमा कर दिया। ALSO READ: 22 जुलाई से श्रावण मास, शिवलिंग की पूजा करते समय बोलें ये खास मंत्र

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