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अबू धाबी में हिंदू मंदिर की क्या है खासियत?

अबू धाबी में हिंदू मंदिर की क्या है खासियत?

WD Feature Desk

, मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024 (11:19 IST)
Swami Narayan Temple Abu Dhabi: अबू धामी में पहला हिंदू मंदिर बनकर तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 2 दिवसीय यात्रा पर यूएई जा रहे हैं। वे बुधवार को अबूधाबी में देश के पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे। आओ जानते हैं इस मंदिर की क्या है खास बातें।
 
  • यह विशाल हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बना है।
  • इस हिंदू मंदिर के निर्माण में करीब 700 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
  • लगभग 108 फीट ऊंचे इस विशाल हिंदू मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है।
  • दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के पास यह मंदिर बना है। 
  • संयुक्त अरब अमीरात की सरकार ने इस मंदिर के लिए जमीन दान की थी। 
  • यह बीएपीएस मंदिर खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा मंदिर है।
  • इस मंदिर में देश के प्रत्येक अमीरात का प्रतिनिधित्व करने वाली सात मीनारें भी हैं।
  • इस मंदिर में संगमरमर और बलुआ पत्थर का इस्तेमाल हुआ है। 
  • मंदिर में हाथ से नक्काशी की गई है।
  • इस मंदिर का निर्माण भारतीय कारीगरों ने किया है। 
  • ये कारीगर पारंपरिक हिंदू मंदिर वास्तुकला में एक्सपर्ट हैं।
  • यह मंदिर मिडिल ईस्ट का सबसे बड़ा मंदिर होगा।
  • साल 2015 में पीएम मोदी की संयुक्त अरब अमीरात यात्रा के दौरान वहां की सरकार ने 17 एकड़ से ज्‍यादा जमीन आवंटित की थी। 
  • मंदिर की आधारशिला 2017 में पीएम मोदी ने ही थी।
  • साल 2019 से इस मंदिर का काम चल रहा है।
  • मंदिर को 2022 में बनकर तैयार होना था लेकिन कोरोना महामारी के चलते कार्य में देरी हुई।
  • इस मंदिर को BAPS नाम की संस्था के नेतृत्व में बनाया गया है।
  • दिल्ली में अक्षरधाम मंदिर का निर्माण भी इसी संस्था ने किया है।
  • मंदिर के निर्माण में 50,000 से अधिक लोगों ने ईंटें रखी हैं।
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गंगा और यमुना जल सरोवर:-
मंदिर के दोनों ओर गंगा और यमुना का पवित्र जल बह रहा है जिसे बड़े-बड़े कंटेनर में भारत से लाया गया है। जिस ओर गंगा का जल बहता है वहां पर एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर बनाया गया है। स्वयंसेवी विशाल पटेल ने कहा, कि इसके पीछे का विचार इसे वाराणसी के घाट की तरह दिखाना है जहां लोग बैठ सकें, ध्यान लगा सकें और उनके जहन में भारत में बने घाटों की यादें ताजा हो जाएं। जब पर्यटक अंदर आएंगे तो उन्हें जल की दो धाराएं दिखेंगी जो सांकेतिक रूप से भारत में गंगा और यमुना नदियों को दर्शाती हैं। 'त्रिवेणी' संगम बनाने के लिए मंदिर की संरचना से रोशनी की किरण आएगी जो सरस्वती नदी को दर्शाएगी। 
 
राजस्थान और गुजरात के कारिगरों ने दिया काम:-
दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप स्थित बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा निर्मित हिंदू मंदिर भव्य है। मंदिर के अग्रभाग पर बलुआ पत्थर पर उत्कृष्ट संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है। मंदिर के लिए उत्तरी राजस्थान से अच्छी-खासी संख्या में गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी लाया गया है।
 
मंदिर स्थल पर खरीद और सामान की देखरेख करने वाले विशाल ब्रह्मभट्ट ने बताया कि मंदिर के निर्माण के लिए 700 से अधिक कंटेनर में दो लाख घन फुट से अधिक 'पवित्र' पत्थर लाया गया है। गुलाबी बलुआ पत्थर भारत से लाया गया है। पत्थर पर नक्काशी वहां के मूर्तिकारों ने की है और इसे यहां के श्रमिकों ने लगाया है। इसके बाद कलाकारों ने यहां डिजाइन को अंतिम रूप दिया है।
 
लकड़ी के बक्सों से बना मंदिर का फर्नीचर:-
जिन लकड़ी के बक्सों और कंटेनर में पत्थरों को अबू धाबी लाया गया है, उनका मंदिर में फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल किया गया है। बीएपीएस के लिए अंतरराष्ट्रीय संबंध के प्रमुख स्वामी ब्रह्मविहारीदास ने कहा,  मंदिर में प्रार्थना सभागार, कैफेटेरिया, सामुदायिक केंद्र आदि में रखा गया फर्नीचर पत्थरों को लाने में इस्तेमाल किए बक्सों और कंटेनर की लकड़ी से बनाया गया है। मंदिर के कोने-कोने में भारत का अंश है। संयुक्त अरब अमीरात में तीन और हिंदू मंदिर हैं जो दुबई में स्थित हैं। अद्भुत वास्तुशिल्प और नक्काशी के साथ एक बड़े इलाके में फैला बीएपीएस मंदिर खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा मंदिर होगा। (भाषा)

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