Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Mandir Mystery : 600 साल पुराने करणी माता के मंदिर का ये रहस्य आप नहीं जानते होंगे

Webdunia
सोमवार, 11 अक्टूबर 2021 (06:25 IST)
चूहों वाले मंदिर की रहस्यमय स्टोरी, सुनकर अचरज करेंगे
 
नमस्कार! 'वेबदुनिया' के मंदिर मिस्ट्री चैनल में आपका स्वागत है। आप जानते ही हैं कि भारत में सैकड़ों चमत्कारिक और रहस्यमय मंदिर हैं। उनमें से कुछ मंदिरों को आपने देखा भी होगा और कुछ के रहस्य को अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है। तो चलिए इस बार हम आपको बताते हैं भारतीय राज्य राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित करणी माता के मंदिर के रहस्य को।
 
 
1. कौन थीं करणी माता : बताया जाता है कि मां करणी का जन्म 1387 में एक चारण परिवार में हुआ था और इनका बचपन का नाम रिघुबाई था। इनका विवाह साठिका गांव के किपोजी चारण से हुआ था। वैराग्य होने के बाद माता सांसारिक जीवन को छोड़कर भक्ति और लोगों की सेवा में लग गईं। यह भी कहते हैं कि सांसारिक जीवन छोड़ने के पूर्व उन्होंने अपने पति का विवाह अपनी छोटी बहन गुलाब से करवा दिया था। यह भी कहा जाता है कि माता करीब 151 वर्षों तक जीवित रही थीं। माता ने जिस जगह पर अपना देह त्याग किया, वहीं आज करणी माता का मंदिर बना है। इस मंदिर का निर्माण बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था।
 
2. इस मंदिर में हैं हजारों चूहे : यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर से 30 किलोमीटर की दूरी पर देशनोक शहर में स्थित है। यहां जाने पर आपको मंदिर प्रांगण और गर्भगृह में हजारों चूहे नजर आएंगे। कहते हैं कि यहां पर लगभग 20 हजार चूहे हैं। इसीलिए इस मंदिर को चूहों वाला मंदिर भी कहा जाता है।
 
3. रहस्यमय है मंदिर की कहानी : ऐसी मान्यता है कि करणी माता के बहन का पुत्र लक्ष्मण कपिल सरोवर में डूबकर मर गया था। जब माता को यह पता चला तो उन्होंने यमराज से पुत्र को पुन: जीवित करने की प्रार्थना की। यमराज ने विवश होकर उसे चूहे के रूप में पुनर्जीवित कर दिया। कहते हैं कि तभी से यहां पर हजारों चूहे खुलेआम घूमते नजर आते हैं। ये सभी माता के बेटे और वंशज हैं। हालांकि लोकगीतों में इन चूहों की एक अलग कहानी बताई जाती है। इस कहानी के अनुसार एक बार 20 हजार सैनिकों की एक टुकड़ी देशनोक पर हमला करने के लिए आई थी। माता को जब यह पता चला तो देशनोक की रक्षार्थ इन सभी को अपने प्रताप से उन्होंने चूहा बना दिया था। 
 
4. चूहों को मार दिया तो करना होता है प्रायश्चित : यहां चूहों को 'काबा' कहते हैं और इन्हें बाकायदा प्रतिदिन भोजन कराया जाता है और इनकी सुरक्षा की जाती है। यहां इतने चूहे हैं कि आपको पांव घिसटकर चलना पड़ेगा। अगर एक चूहा भी आपके पैरों के नीचे आकर मर गया तो अपशकुन माना जाता है। इस अपशकुन से बचना हो तो यहां पर सोने का चूहा बनवाकर रखना होता है।
 
5. चूहे देते हैं माता के आशीर्वाद का संकेत : कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुजर गया तो समझो कि आप पर देवी की कृपा हो गई और यदि आपने सफेद चूहा देख लिया तो आपकी मनोकामना जरूर पूर्ण होगी।
 
6. अनूठा है यहां का प्रसाद : आपको जानकार हैरानी होगी कि यहां चूहों का झूठा भोजन बेहद पवित्र माना जाता है। भोजन को वहां प्रसाद के रूप में भी बांटा भी जाता है। कहते हैं कि इस प्रसाद को खाने के बाद अब तक किसी के भी बीमार होने की कोई खबर नहीं मिली है। हालांकि यहां पर शुद्ध प्रसाद भी मिलता है।
 
7. आरती के समय बिल से बाहर आ जाते हैं सभी चूहे : इन चूहों की एक विशेषता यह भी है कि सुबह 5 बजे मंदिर में होने वाली मंगला आरती और शाम 7 बजे संध्‍या आरती के समय अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं। इस मंदिर से दुर्गंध नहीं आती है और आज तक इन चूहों के कारण अभी तक कोई बीमारी नहीं हुई है। 
 
आपको कैसी लगी हमारी यह जानकारी, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसी तरह की रहस्यमयी बातों को जानने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें और बेल आयकॉन के बटन को दबाना न भूलें ताकि आपको नोटिफिकेशन मिल सके। धन्यवाद।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dhanteras Rashifal: धनतेरस पर बन रहे 5 दुर्लभ योग, इन राशियों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

Shopping for Diwali: दिवाली के लिए क्या क्या खरीदारी करें?

बहुत रोचक है आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति की कथा, जानिए कौन हैं भगवान धन्वंतरि?

दिवाली की रात में करें ये 7 अचूक उपाय तो हो जाएंगे मालामाल, मिलेगी माता लक्ष्मी की कृपा

Dhanteras 2024: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर कितने, कहां और किस दिशा में जलाएं दीपक?

सभी देखें

धर्म संसार

27 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

27 अक्टूबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Kali chaudas 2024: नरक चतुर्दशी को क्यों कहते हैं भूत चौदस, किसकी होती है पूजा?

Bach Baras 2024: गोवत्स द्वादशी क्यों मनाते हैं, क्या कथा है?

गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव कैसे मनाया जाता है?

આગળનો લેખ
Show comments