Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

चारधाम यात्रा होगी फिर शुरू, जानिए यात्रा नियम और चार धाम के बारे में

Webdunia
गुरुवार, 16 सितम्बर 2021 (13:59 IST)
उत्तराखंड हाईकोर्ट में चार धाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी है। गुरुवार को इस मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यात्रा पर लगाई रोक के 28 जून के निर्णय को वापस ले लिया है। कोर्ट ने कोविड के नियमों का पालन करते हुए चारधाम यात्रा शुरू करने के आदेश दे दिए हैं। आओ जानते हैं कि क्या है चार धाम यात्रा।
 
 
यात्रा के नियम : यदि आप उत्तराखंड की चार धाम यात्रा पर जा रहे हैं तो यात्रा के नियम जरूर जान लें। केदारनाथ धाम में 800 यात्री, बदरीनाथ धाम में 1200 यात्री, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 यात्रियों को ही प्रतिदिन जाने की अनुमति है। यात्री किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकते हैं।
 प्रत्येक यात्री को कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन सर्टिफिकेट लाना अनिवार्य होगा।
 
क्या है चार धाम : मुख्‍या चार धाम बद्रीनाथ, जगन्नाथ, द्वारिका, रामेश्‍वरम है। इनमें से बद्रीनाथ की यात्रा के दौरान केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की यात्रा करने को ही छोटा चार धाम कहते हैं।
 
छोटा चार धाम : बद्रीनाथ में तीर्थयात्रियों की अधिक संख्या और इसके उत्तर भारत में होने के कारण यहां के वासी इसी की यात्रा को ज्यादा महत्व देते हैं इसीलिए इसे छोटा चार धाम भी कहा जाता है। इस छोटे चार धाम में बद्रीनाथ के अलावा केदारनाथ (शिव ज्योतिर्लिंग), यमुनोत्री (यमुना का उद्गम स्थल) एवं गंगोत्री (गंगा का उद्गम स्थल) शामिल हैं।
 
क्यों महत्व रखता है छोटा चार धाम : उक्त चारों ही स्थान पर दिव्य आत्माओं का निवास माना गया है। यह बहुत ही पवित्र स्थान माने जाते हैं। केदारनाथ को जहां भगवान शंकर का आराम करने का स्थान माना गया है वहीं बद्रीनाथ को सृष्टि का आठवां वैकुंठ कहा गया है, जहां भगवान विष्णु 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते हैं। यहां बदरीनाथ की मूर्ति शालग्रामशिला से बनी हुई, चतुर्भुज ध्यानमुद्रा में है। यहां नर-नारायण विग्रह की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक है।
 
केदार घाटी में दो पहाड़ हैं- नर और नारायण पर्वत। विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है। उनके तप से प्रसन्न होकर केदारनाथ में शिव प्रकट हुए थे। दूसरी ओर बद्रीनाथ धाम है जहां भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। कहते हैं कि सतयुग में बद्रीनाथ धाम की स्थापना नारायण ने की थी। भगवान केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के बाद बद्री क्षेत्र में भगवान नर-नारायण का दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन-मुक्ति भी प्राप्त हो जाती है। इसी आशय को शिवपुराण के कोटि रुद्र संहिता में भी व्यक्त किया गया है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Guru Pushya Nakshatra 2024: पुष्य नक्षत्र में क्या खरीदना चाहिए?

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

झाड़ू से क्या है माता लक्ष्मी का कनेक्शन, सही तरीके से झाड़ू ना लगाने से आता है आर्थिक संकट

30 को या 31 अक्टूबर 2024 को, कब है नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का पर्व?

गुरु पुष्य योग में क्यों की जाती है खरीदारी, जानें महत्व और खास बातें

सभी देखें

धर्म संसार

Diwali Muhurat Trading 2024: कब होगा शेयर बाजार में दिवाली का मुहूर्त ट्रेडिंग 31 अक्टूबर या 01 नवंबर, NSE ने किया स्पष्ट

24 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 अक्टूबर 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त

Dhanteras jhadu: धनतेरस पर कौन सी और कितनी झाड़ू खरीदें?

दीपावली पर कैसे पाएं परफेक्ट हेयरस्टाइल? जानें आसान और स्टाइलिश हेयर टिप्स

આગળનો લેખ
Show comments