Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

जानिए यज्ञ के नौ कुंडों की विशेषता

जानिए यज्ञ के नौ कुंडों की विशेषता
॥ॐ नमो भगवते वासुदेवाय॥
॥ यज्ञौवैश्रेष्ठतरं कर्मः स यज्ञः स विष्णुः॥
॥ यज्ञात्भवति पर्जन्यः पर्जन्याद्अन्नसम्भवः॥ 
                                        ॥ सत्यं परम धीमहि, धरम न दूसर सत्य समाना आगम निगम पुराण बखाना।।



 
बारह साल में बार होने वाला सिंहस्थ ईश्वर के दर्शन, पूजन, स्नान और यज्ञ आहुतियों के लिए भी विशेष समय माना जाता है।  सिंहस्थ में हर तरफ यज्ञ आयोजित हो रहे हैं। आइए जानते हैं कि यज्ञ के कुंडों की क्या महत्ता है.... 
 
नौ कुंडीय लक्ष्मीनारायण महायज्ञ एवं श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन भी बहुत ही फलदाई माना जाता है। इस यज्ञ के दौरान प्रातःकाल से ही वेद ऋचाओं व श्रीसूक्त पाठ का वाचन करने से आसपास का बाहरी वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है।

यज्ञ का आयोजन यज्ञ लौकिक और पारलौकिक दोनों ही प्रकार से सभी के लिए हितकारी है। यज्ञ से वर्षा होती है, वर्षा से अन्न पैदा होता है, जिससे संसार का जीवन चलता है। वायुमंडल में मंत्रों का प्रभाव पड़ता है जो प्राकृतिक घटनाएं जैसे- भूकंप, ओलावृष्टि, हिंसात्मक घटनाओं का शमन होता है, क्योंकि यज्ञ शब्दब्रह्म है।
webdunia

 
जानिए यज्ञ के नौ कुंडों की विशेषता 
* सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ति के लिए प्रधान चतुरस्त्र कुंड का महत्व होता है।
  * पुत्र प्राप्ति के लिए योनि कुंड का पूजन जरूरी है। 
* ज्ञान प्राप्ति के लिए आचार्य कुंड यज्ञ का आयोजन जरूरी होता है।
 * शत्रु नाश के लिए त्रिकोण कुंड यज्ञ फलदाई होता है। 
* व्यापार में वृद्धि के लिए वृत्त कुंड करना लाभदाई होता है। 
* मन की शांति के लिए अर्द्धचंद्र कुंड किया जाता है। 
* लक्ष्मी प्राप्ति के लिए समअष्टास्त्र कुंड, विषम अष्टास्त्र कुंड, विषम षडास्त्र कुंड का विशेष महत्व होता है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

कुंडली के बारह भाव में राहु का फल, जरूर जानें