Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

Bach Baras 2023: गोवत्स द्वादशी वसुबारस 2023, जानें महत्व और पूजा विधि

Webdunia
Bach Baras : इस बार 9 नवंबर 2023, दिन गुरुवार को गोवत्स द्वादशी या वसु बारस का पर्व मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यतानुसार बछ बारस/ गोवत्स द्वादशी व्रत पुत्र की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्‍ण द्वादशी को यह पर्व मनाया जाता हैं। 
 
आइए यहां जानते हैं व्रत का महत्व और पूजन विधि : 
 
महत्व : ज्ञात हो कि भारत के अधिकांश हिस्सों में कार्तिक कृष्ण द्वादशी को गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है। धार्मिक शास्त्रों की मानें तो यह दिन भाद्रपद और कार्तिक कृष्ण पक्ष की द्वादशी को विशेष तौर पर गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। अन्य पुराणों के अनुसार बछ बारस, गोवत्स द्वादशी व्रत कार्तिक, माघ, वैशाख और श्रावण महीनों की कृष्ण द्वादशी को होता है। इस अन्य नाम बच्छ दुआ, वसु द्वादशी, बछ बारस, वसु बारस भी है। कार्तिक मास की गोवत्स द्वादशी के दिन गौ माता और बछड़े की पूजा की जाती है। 
 
पुराणों में गौ के अंग-प्रत्यंग में देवी-देवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन प्राप्त होता है। पद्म पुराण के अनुसार गाय के मुख में चारों वेदों का निवास हैं। उसके सींगों में भगवान शिव और विष्णु सदा विराजमान रहते हैं। गाय के उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सीगों के अग्र भाग में इन्द्र, दोनों कानों में अश्विनीकुमार, नेत्रों में सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती, अपान (गुदा) में सारे तीर्थ, मूत्र स्थान में गंगा जी, रोमकूपों में ऋषि गण, पृष्ठभाग में यमराज, दक्षिण पार्श्व में वरुण एवं कुबेर, वाम पार्श्व में महाबली यक्ष, मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्रभाग में सर्प, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं स्थित हैं। 
 
पूजन विधि-Bachh Baras Puja Vidhi 2023
 
- गोवत्स द्वादशी के दिन असली गाय और बछड़े की पूजा भी करती हैं।
- बछ बारस के दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। 
- फिर दूध देने वाली गाय को बछड़े सहित स्नान कराएं, फिर उनको नया वस्त्र चढ़ाते हुए पुष्प अर्पित करके तिलक करें। 
- कुछ स्थानों पर लोग गाय के सींगों को सजाते हैं और तांबे के पात्र में इत्र, अक्षत, तिल, जल तथा फूलों को मिलाकर गौ का प्रक्षालन करते हैं। 
- गौ माता के पैरों में लगी मिट्टी से अपने माथे पर तिलक लगाएं।  
- इस दिन पूजा के बाद गाय को उड़द से बना भोजन कराएं।
- मोठ, बाजरा पर रुपया रखकर अपनी सास को दें। 
- गौ माता का पूजन करने के बाद बछ बारस की कथा सुनें। 
- सारा दिन व्रत करके गोधूलि में गौ माता की आरती करें। 
- उसके बाद भोजन ग्रहण करें।
- इस दिन चाकू का प्रयोग न करें और ना ही काटे गए कोई भी खाद्य पदार्थ का सेवन करें।
- इस व्रत में द्विदलीय अन्न का प्रयोग किया जाता है। इस दिन गाय का दूध, दही, गेहूं और चावल खाना निषेध है। बाजरे की ठंडी रोटी खाएं। इस दिन अंकुरित मोठ, मूंग, चने आदि ग्रहण करें और इन्हीं से बना प्रसाद चढ़ाएं।
 
यह व्रत संतान की कामना एवं उसकी सुरक्षा के लिए किया जाने वाला व्रत है। इस दिन गाय-बछड़ा और बाघ-बाघिन की मूर्तियां बना कर उनकी पूजा की जाती है। व्रत के दिन शाम को बछड़े वाली गाय की पूजा कर कथा सुनने के बाद ही प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

ALSO READ: दिवाली की रात को यदि देख लिया इन 5 में से किसी एक प्राणी को तो समझो क्या होगा?

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

25 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

25 नवंबर 2024, सोमवार के शुभ मुहूर्त

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

આગળનો લેખ
Show comments