Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं पीतल के बर्तन

धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं पीतल के बर्तन

अनिरुद्ध जोशी

धनतेरस पर प्रत्येक व्यक्ति अपनी सामर्थ अनुसार एक ना एक पीतल का बर्तन अवश्य खरीदता है। पीतल के बर्दन खरीदने का उद्देश्य क्या है और क्यों खरीदते हैं पीतल के बर्तन एवं क्या है इसके फायदे? आओ जानते हैं इस बारे में परंपरा और मान्यता अनुसार मत।
 
 
कहते हैं कि धनतेरस के दिन सोना नहीं पीतल का बर्तन खरीदें क्योंकि इस दिन सोना खरीदने से घर में चंचलता आ सकती है। सोना तो पुष्य नक्षत्र में खरीदना चाहिए। हालांकि इस दिन इसी पूजा करना चाहिए इससे घर में लक्ष्मी का शुभ स्थायी वास होता है। इस दिन पीतल और चांदी खरीदना चाहिए क्योंकि पीतल भगवान धन्वंतरी की धातु है। पीतल खरीदने से घर में आरोग्य, सौभाग्य और स्वास्थ्य की दृष्टि से शुभता आती है। चांदी कुबेर की धातु है। इस दिन चांदी खरीदने से घर में यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और संपदा में वृद्धि होती है।
 
पीतल गुरु की धातु है। यह बहुत ही शुभ है। बृहस्पति ग्रह की शांति करनी हो तो पीतल का इस्तेमाल किया जाता है। किचन में जीतना अधिक पीतल होगा उतना शुभ माना जाता है। आप जिस धातु के बर्तन में खाना खाते हैं उसके गुण भोजन में स्वत: ही आ जाते हैं। आयुर्वेद में पीतल के बर्तन में भोजन करना, तांबे के बर्तन में पानी पीना और लोहे या मिट्टी के बर्तन में खाना पकाना अत्यंत ही लाभकारी होता है। परंतु यह भी कहा जाता है कि पीतल का बर्तन जल्दी गर्म होता है इससे गैस व ईंधन की बचत होती है इसलिए इसमें खाना पकान भी उत्तम होगा।
 
आयुर्वेद के जन्मदाना धन्वंतरि है जिन्हें पीतल का बर्तन बहुत ही अति प्रिय है। इसीलिए धनतेरस के दिन पीतल का बर्तन अवश्य रूप से खरीदने की प्रथा चली आ रही है। इससे भगवान धनवंतरि का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा भी माना जाता है कि पीतल के बर्तन में खाने से आयु बढ़ती है। पीतल के बर्तनों में भोजन करने से स्वास्थ लाभ प्राप्त होता है। 
 
घर में पीतल और तांबे के प्रभाव से सकारात्मक और शांतिमय ऊर्जा का निर्माण होता है। ध्यान रहे कि तांबे के बर्तन में खाना वर्जित है परंतु जल पी सकते हैं। इसी प्रकार यदि पीतल के लौटे में रखा जल पीया जाए तो इससे भी मन शांत हो जाता है तथा इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है।
 
पीतल का उपयोग मांगलिक कार्यो में भी किया जाता है। जैसे कन्यादान के समय पीतल के कलश का प्रयोग करना, पुत्र के जन्म की खुशी पर पीतल की थाली को बजाना। माना जाता है कि इससे पितृगण को बताया जाता है कि आपके कुल में पिंडदान करने वाले वंशज का जन्म हो चुका है। इसी प्रकार वैभवलक्ष्मी पूजन में पीतल के दीये में का उपयोग करना आदि।
 
शास्त्र महाभारत में वर्णित एक वृत्तांत के अनुसार सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षय पात्र वरदानस्वरूप दिया था जिसकी विशेषता थी कि जब तक द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दे, खाना घटता नहीं था। मान्यता अनुसार धन प्राप्ति हेतु पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को शुद्ध घी से भरा पीतल का कलश चढ़ाना चाहिए। कहते हैं पीतल की कटोरी में दही भरकर पीपल के नीचे रखने से दुर्भाग्य मिट जाता है।

webdunia

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

धनतेरस के दिन कुबेर के 3 चमत्कारी मंत्र खोल देंगे खजाना आपके लिए