लखनऊ। पिछले विधानसभा चुनाव में किसानों से किए गए वादे को जमीन पर उतारते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को ऋण मोचन योजना के तहत 7500 किसानों को कर्ज माफी के प्रमाण पत्र वितरित किए।
इस मौके पर पिछली सरकारों पर जातिवाद, परिवारवाद और संप्रदायवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नदाता को स्वावलम्बी बनाने के मकसद के तहत सूबे में अब किसान और युवा केन्द्रित राजनीति को तवज्जो दी जाएगी।
भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किसानों से किए गए कर्ज माफी के वायदे के गरीब और सीमांत किसानों द्वारा 31 मार्च 2016 तक लिया एक लाख रुपए का फसली ऋण माफ करने की घोषणा की थी। सरकार की इस योजना से सूबे के करीब 86 लाख किसान लाभान्वित होंगे। इस पर करीब 36 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ सरकार पर पड़ेगा।
योगी ने कहा कि किसानों की कर्जमाफी कर सरकार कोई उपकार नहीं कर रही है बल्कि यह उनका अधिकार है। किसानों की माली हालत सुधारने और उनके हितों की रक्षा के लिए सरकार कटिबद्ध है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की हर मुमकिन कोशिश की जाएगी। किसानों को स्वावलम्बी बनाने के लिए केन्द्र द्वारा जारी सभी योजनाओं का लाभ अन्नदाताओं तक पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा लिए गए कर्ज का भुगतान बैंकों को किया जा रहा है। बैंकर्स को कहा गया है कि वे इस बारे में किसानों को कोई नोटिस न भेजे। एनपीए के बारे में सरकार जरूरी कार्रवाई कर रही है। (वार्ता)