जम्मू। हालांकि जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय राजनीतिक दल जम्मू-कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव करवाए जाने की संभावनाओं पर खुशी मना रहे हैं, पर सच्चाई यह है कि प्रदेश में विधानसभा चुनावों की राह में बहुत से तकनीकी रोड़ें हैं, जिनको दूर करते करते अगले साल अप्रैल-मई में ही चुनाव संभव लग रहे हैं।
ऐसी रूकावटों में सबसे बड़ी रुकावट डिलीमिटेशन कमीशन द्वारा विधानसभा तथा संसदीय क्षेत्रों से संबंधित कवायद को अभी तक पूरा नहीं किया जाना है तो मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण का कार्य भी अभी शुरू होना है जिसमें समय लगने की उम्मीद है।
हालांकि इन दोनों कवायदों के सर्दियों तक पूरा हो जाने की उम्मीद तो है पर सर्दियों में चुनाव आयोग क्या चुनाव करवा पाएगा, ऐसी संभावना क्षीण इसलिए है क्योंकि जम्मू-कश्मीर में आज तक सर्दियों में मौसम की परिस्थितियों के कारण चुनाव कभी भी नहीं करवाए गए हैं।
प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, सर्दियों में चुनाव करवाए जाने का फैसला लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा। उनका कहना था कि सर्दियों में प्रदेश के कश्मीर घाटी तथा जम्मू संभाग के बहुतेरे इलाके पूरी दुनिया से कट जाते हैं और वहां मतदान करवाना संभव नहीं हो सकता।
खबरों के मुताबिक, अगर अक्टूबर के अंत तक मतदाता सूचियां फिर से तैयार हो जाती हैं तो ही चुनाव नवंबर में करवाए जा सकते हैं, पर पिछले कुछ सालों से देखने को मिल रहा है कि अक्टूबर के अंत में ही बर्फबारी आधे से अधिक जम्मू-कश्मीर को अपनी चपेट में ले लेती है जिसमें मतदान प्रक्रिया कभी संभव ही नहीं हो पाई है।
ऐसे में सर्दी के खत्म होने का इंतजार करना होगा जो आधिकारिक तौर पर मार्च के अंत तक हो जाएगी तो इसके स्पष्ट मायने होंगे कि विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई 2023 में ही संभव हो पाएंगे।