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पुलिसकर्मियों पर जबरदस्त दबाव, अप्रैल के बाद से 30 ने छोड़ी नौकरी

सुरेश डुग्गर
श्रीनगर। बीते दिनों हिज्बुल मुजाहिदीन के मुखिया रियाज नायकू ने कश्मीर के स्पेशल पुलिस अफसरों को आगाह किया था कि वह अपनी नौकरी छोड़ दें। आतंकी संगठन ने फिलहाल एसपीओ पर नौकरी छोड़ने का दबाव बनाया है और सियासी कार्यकर्ता भी निशाने पर हैं। बीते अप्रैल माह से अब तक कश्मीर में आतंकियों के डर से पुलिस की नौकरी से इस्तीफे का एलान करने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या लगभग 30 से ऊपर हो गई है।
 
अप्रैल माह के दौरान सिर्फ त्राल में ही करीब 13 एसपीओ ने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दिया था, जबकि अगस्त माह में 11 एसपीओ ने और इसी माह की शुरुआत में सात एसपीओ ने आतंकियों के डर से नौकरी छोड़ी है।
 
हालांकि आतंकियों की धमकियों पर इस्तीफा देने वाले पुलिस एसपीओ और कांस्टेबलों द्वारा इस्तीफा देने की घटनाएं बीते दस दिनों में लगभग समाप्त हो गई थीं, लेकिन चार दिन पहले हिज्ब कमांडर रियाज नायकू द्वारा वीडियो संदेश जारी कर पुलिसकर्मियों व एसपीओ को इस्तीफे देने या मरने को तैयार रहने का फरमान सुनाने के बाद कयास लगाया जा रहा था कि आतंकी गत 31 अगस्त की तरह फिर से पुलिसकर्मियों को निशाना बनाएंगे। लेकिन उच्चाधिकारियों ने आतंकी धमकियों को महज प्रचार का जरिया बताकर खारिज करने का प्रयास किया।
 
चार दिन का अल्टीमेटम समाप्त होने के बाद शुक्रवार सुबह आतंकियों ने शोपियां के बटगुंड और कापरिन में 6 पुलिसकर्मियों का अगवा कर उनमें से तीन फिरदौस अहमद कूचे, कुलवंतसिंह और निसार अहमद की गोली मारकर हत्या कर दी।
 
पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद आतंकी कमांडर रियाज नायकू ने ट्वीट कर हत्याओं की जिम्मेदारी ली और कहा कि हम उन एसपीओ के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जो हमारे हुक्म के मुताबिक नौकरी छोड़कर घर नहीं बैठेंगे। हम किसी भी जगह किसी भी एसपीओ को अगवा कर मौत के घाट उतार सकते हैं।
 
आतंकियों द्वारा तीन पुलिसकर्मियों को अगवा कर मौत के घाट उतारने और हिज्ब कमांडर द्वारा अपनी धमकी को दोबारा दोहराए जाने के बाद सात पुलिसकर्मियों ने जिनमें पांच एसपीओ हैं, ने इस्तीफे का एलान किया है। इनकी पहचान नवाज अहमद लोन निवासी टेंगन कुलगाम, शब्बीर अहमद ठोकर निवासी समनू कुलगाम, ताजल्लाह हुसैन निवासी हीरपोरा बटगुंड शोपियां, उमर बशीर निवासी कापरिन शोपियां, नसीर अहमद निवासी वहीबुग पुलवामा और इरशाद अहमद बाबा निवासी दानगाम शोपियां के रूप में हुई है। इनमें इरशाद अहमद एक नियमित पुलिसकर्मी है।
 
शुक्रवार को इस्तीफा देने वाले अधिकांश पुलिसकर्मियों ने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए पुलिस की नौकरी छोड़ने का एलान किया है। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि इस समय राज्य पुलिस में 32 हजार से ज्यादा एसपीओ कार्यरत हैं।
 
एसपीओ पुलिस संगठन के नियमित कर्मी नहीं होते और इन्हें एक निश्चित मासिक मानदेय प्रदान किया जाता है। यह आतंकरोधी अभियानों से लेकर सामान्य पुलिस गतिविधियों में आवश्यकता के अनुरूप एक पुलिसकर्मी की तरह ही सहयोग करते हैं। एसपीओ की भर्ती स्थान विशेष की जरूरत के अनुसार भी होती रही है। लेकिन बीते कुछ सालों से इनकी भर्ती को पूरी तरह नियमित किया गया और एसपीओ के लिए बाकायदगी से आवेदन आमंत्रित कर, उनकी लिखित परीक्षा, शारीरिक दमखम का भी इम्तिहान लिया जाता है।
 
कई बार आतंकवाद से पीड़ित परिवारों से जुड़े लोगों को भी एसपीओ के रूप में भर्ती किया जाता है। पुलिस संगठन में कांस्टेबल पद की नियमित भर्ती में भी एसपीओ के लिए कई पद आरक्षित रखे जाते हैं और आतंकरोधी अभियानों में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले एसपीओ को पुलिस संगठन में नियमित कर लिया जाता है।
 
पंचायत चुनाव टालने की कोशिश : याद रहे जम्मू कश्मीर में आतंकियों की तरफ से पंचायत चुनाव टालने के लिए पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं। ये किडनैपिंग तब हुई है जब हिज्बुल के आतंकी रियाज़ नायकू ने पुलिसकर्मियों को धमकी दी है। एक ऑडियो क्लिप सामने आई है जिसमें नाइकू कह रहा है कि सभी पुलिसकर्मी को चार दिन में अपनी नौकरी छोड़ दें। नायकू का कहना था कि नए कश्मीरी लड़के पुलिस ज्वाइन ना करें। इससे पहले भी कई बार आतंकियों ने पुलिसकर्मियों को किडनैप कर उनकी निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी।
 
इससे पूर्व गत 31 अगस्त को दक्षिण कश्मीर में आतंकियों ने पुलिसकर्मियों के 11 रिश्तेदारों को अगवा किया था। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया था। आतंकियों का कहना था कि पुलिसकर्मी उनके परिवार के कुछ सदस्यों को ले गए हैं और हम चाहते हैं कि उन्हें वापस भेज दें। 
  
रियाज ने दोहराई धमकी : यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि दो दिन पहले हिज्ब आतंकी रियाज नायकू ने एक वीडियो जारी कर पुलिसकर्मियों व एसपीओ को नौकरी छोड़ने की धमकी दोहराई थी। ऑडियो क्लिप में नौकरी छोड़ने के लिए चार दिन का वक्त दिया गया था। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को भी नौकरी छोड़ने के लिए धमकाया गया था। उस दो मिनट के वीडियो में नौकरी नहीं छोड़ने वालों के परिजनों को भी जान से मारने की धमकी दी गई थी। 
 
धमकी देने वाले शख्स ने जम्मू कश्मीर पुलिस, एसटीएफ, ट्रैफिक पुलिस, सीआईडी, राष्ट्रीय राइफल्स, सीआरपीएफ, बीएसएफ और केंद्र सरकार की नौकरी करने वाले कश्मीरियों से नौकरी छोड़ने की धमकी देते हुए नौकरी छोड़ने का सबूत इंटरनेट पर अपलोड भी करने को कहा था। नौकरी छोड़ने के लिए उसने चार दिन का वक्त दिया था।
 
जम्मू कश्मीर में 35000 एसपीओ : जम्मू कश्मीर पुलिस (जेकेपी) के पास करीब 35,000 एसपीओ हैं जो पुलिस विभाग में नियमित नौकरी मिलने की आस लगाए हुए हैं। पुलिस विभाग राज्य के युवाओं के लिए रोजगार का मुख्य आकर्षण बना हुआ है। जुलाई 2016 में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद दो वर्षों में घाटी के करीब 9,000 युवा पुलिस में भर्ती हो चुके हैं।
 
इस साल 29 अगस्त की हत्या को मिलाकर कुल 35 पुलिसकर्मियों की हत्या हो चुकी है, जो 2017 में पूरे साल कुल हत्या से भी ज्यादा है। हाल के महीनों में आतंकियों के मारे जाने के जवाब में पुलिसकर्मियों पर हमलों की अभूतपूर्व घटनाएं देखने को मिली हैं।
 

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