हमारे राष्ट्रीय महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों की क्या दुर्दशा होती है, इसे महाराष्ट्र के चंद्रपुर के गांव में स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर देखा जा सकता है। सरकारी दस्तावेजों के अनुसार महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के पाटण गांव के सभी घरों में 112 शौचालय बनाए गए। इतना ही नहीं, गांव को खुले में शौच मुक्त घोषित कर स्मार्ट ग्राम का पुरस्कार भी दिया गया। पर बाद में गांव के सभी शौचालय गायब हो गए हैं।
महाराष्ट्र के चंद्रपुर के पाटण गांव में स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां उड़ाते हुए आदिवासी गांव वालों को ठगा गया और कागजों पर शौचालय बना कर लाखों की लूट को अंजाम दिया गया। ग्राम पंचायत के सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक गांव के सभी घरों में शौचालय बनाए जाने की जानकारी दर्ज कर शौचालय बनाने के लिए मिली अनुदान की रकम हड़पने का मामला सामने आया है।
इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब गांव की महिलाएं ग्राम पंचायत के कार्यालय जाकर शौचालय बनाने की मांग करने लगीं, पर वहां पता चला कि इनके घरों में पहले से ही शौचालय बना दिए गए हैं। साथ ही, इन्हें मिलने वाली अनुदान राशि भी दे दी गई है। लेकिन गांववालों का कहना है कि ना ही उनके घरों में शौचालय बने हैं और ना ही कोई अनुदान राशि मिली है।
तीन साल पहले शौचालय के नाम पर सिर्फ गड्ढे खोद दिए गए। एक टीवी चैनल की जांच टीम का कहना है कि जब वे इस गांव में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गांव वालों के घरों में शौचालय के लिए सिर्फ गड्ढे खोद दिए गए हैं। और यह काम भी पिछले तीन साल पहले हुआ था और उसके बाद ना तो कोई शौचालय बना और ना ही कोई अनुदान की राशि दी गई। गांव के लोग आज भी शौच के लिए बाहर ही जाते हैं।
जांच करने वाले सूत्रों का कहना है कि इस गांव में ऐसे कुल 112 घर हैं, जिनके नाम ग्राम पंचायत में दर्ज हैं और जिन्हें शौचालय बना कर दिया गया। गांव वालों ने अपने साथ हुए धोखाधड़ी की शिकायत पुलिस में कर दी है।
महाराष्ट्र में महज कागजों पर बने शौचालयों से स्वच्छ भारत अभियान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और महाराष्ट्र सरकार ऐसे गावों को बिना किसी जांच के 'स्मार्ट ग्राम' का पुरस्कार भी दे रही है। यह तो सिर्फ एक गांव का मामला सामने आया है, पर राज्य में ऐसे और कितने गांव होंगे, पता नहीं। आज भी इस गांव के लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं, इसीलिए वे जल्द से जल्द शौचालय की मांग कर रहे हैं।