अयोध्या। राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने राम मंदिर निर्माण की प्रगति का जायजा लेने के लिए बुधवार को पूरे दिन मंथन किया और इस दौरान अयोध्या में मौजूद ट्रस्ट के सदस्यों और निर्माण एजेंसी के इंजीनियरों और आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा के साथ बैठक की। बैठक के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा राजस्थान से आने वाले पत्थरों की उपलब्धता रहा।
आशीष सोमपुरा की मानें तो लगभग साढ़े 4 लाख घन पत्थरों की आवश्यकता है। पत्थर की उपलब्धता ही मंदिर निर्माण की समय सीमा तय करेगी। हालांकि बैठक में बताया गया कि राजस्थान सरकार ने अब पत्थरों के निर्यात को लेकर अनुमति दे दी है, जिससे राजस्थान से पत्थर आने वाले माह में आना शुरू हो जाएंगे।
यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि अभी तक मंदिर के नींव की 15 लेयर की कांक्रीट मटेरियल को डाला जा चुका है। एक लेयर कम्प्रेस होने के बाद 10 इंच का होता है यानी 13 फुट से अधिक नींव की भराई हो चुकी है।भराई का यह काम अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा।
अब तक इस बात पर भी निर्माण एजेंसी के इंजीनियरों के बीच सहमति हो चुकी है कि नींव की भराई का कार्य जब जमीन की सतह से नीचे ही रहेगा तभी से पत्थरों का प्रयोग शुरू हो जाएगा, जबकि जमीन की सतह के ऊपर आने पर चारों तरफ की लेयर रेड स्टोन की होगी और मंदिर की फर्श सफेद मार्बल के पत्थरों से तैयार की जाएगी।
राम मंदिर निर्माण पर मंथन गुरुवार को भी जारी रहा और मंदिर निर्माण में आने वाले अवरोधों और प्रगति को लेकर समीक्षा हुई। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्र ने कहा, अभी मंदिर निर्माण के विषय में जितनी कंपनियां लगी हैं, उनके साथ नृपेंद्र मिश्रा समीक्षा की है, काम आगे कैसे बढ़ाना है, इस विषय पर चर्चा की गई है।
मिश्र ने कहा, 15 लेयर का काम पूरा हो चुका है, 16 लेयर का काम चल रहा है। नवंबर से पत्थर का काम शुरू हो जाएगा। भराई का काम अक्टूबर के लास्ट तक या फिर नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। नवंबर से फाउंडेशन का काम शुरू कर दिया जाएगा।