Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

काकोरी कांड के शहीद लाहिड़ी ने कहा था- मैं मर नहीं रहा, आजाद भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा हूं

Webdunia
रविवार, 16 दिसंबर 2018 (19:04 IST)
गोंडा। 'मैं मर नहीं रहा बल्कि स्वतंत्र भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा हूं। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बगावत का उद्घोष करने वाले काकोरी कांड के आरोपी राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी ने गोंडा जिला जेल में फांसी के फंदे को हंसते-हंसते चूम लिया था।'
 
 
लाहिड़ी से पीछा छुड़ाने के लिए फांसी पर लटकाने वाली फिरंगी हुकूमत क्रांतिकारी की जुनूनभरी हुंकार को सुनकर ठिठक गई। 17 दिसंबर 1927 को भारतमाता के वीर लाल को फांसी देने के साथ ही उन्हें अहसास हो गया कि लाहिड़ी की फांसी के बाद अब रणबांकुरे उन्हें चैन से जीने नहीं देंगे।
 
शहीद लाहिड़ी के बलिदान को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए जेल के समीप परेड सरकार के पास टेढ़ी नदी के तट पर अंत्येष्टि स्थल की पहचान के लिए उनके रिश्तेदारों मनमथनाथ गुप्त, लालबिहारी टंडन, ईश्वरशरण और अन्य स्थानीय समाजसेवी संस्थानों के कार्यसेवकों ने लाहिड़ी को नमन कर एक बोतल जमीन में गाड़ दी थी। इस स्थल का अभी तक सही पता नहीं चल पाया है।
 
लाहिड़ी को देशप्रेम और निर्भीकता विरासत में मिली थी। राष्ट्रप्रेम की भावना वे बुझा नहीं पाए और मात्र 8 वर्ष की आयु में ही काशी से बंगाल अपने मामा के यहां आ गए और वहां सचिन्द्रनाथ सान्याल के संपर्क में आ गए। लाहिड़ी में फौलादी दृढ़ता, राष्ट्रभक्ति व दीवानगी के निश्चय की अडिगता को पहचानकर उन्हें क्रांतिकारियों ने अपनी टोली में शामिल कर हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिवॉल्यूशन आर्मी पार्टी बनारस का प्रभारी बना दिया।
 
लाहिड़ी बलिदानी जत्थों की गुप्त बैठकों में बुलाए जाने लगे। उस समय क्रांतिकारियों के चल रहे आंदोलन को गति देने के लिए तात्कालिक धन की व्यवस्था करनी थी। इसके लिए उन्होंने शाहजहांपुर बैठक में अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनाई। इसे अंजाम देने के लिए 9 अगस्त 1925 को सायंकाल 6 बजे लखनऊ के काकोरी से छूटी 8, डाउन ट्रेन में जा रहे अंग्रेजी सरकार के खजाने को लूटने के लिए रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह खा और ठाकुर रोशन सिंह समेत 19 अन्य क्रांतिकारियों के साथ धावा बोल दिया।
 
इसको लेकर फिरंगी हुकूमत ने सभी क्रांतिकारियों पर काकोरी षड्यंत्र कांड दिखाकर सशस्त्र युद्ध छेड़ने और खजाना लूटने का आरोप लगाते हुए अभियोग लगाया। इस कांड में लखनऊ की स्पेशल कोर्ट ने 6 अप्रैल 1927 को जलियांवाला बाग दिवस पर रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां और रोशन सिंह को एकसाथ फांसी की सजा सुनाई लेकिन भारतीयों में आक्रोश के भयवश लाहिड़ी को गोंडा कारागार भेजकर 17 दिसंबर 1927 को फांसी दी।
 
लाहिड़ी का जन्म 23 जून 1901 को बंगाल प्रांत के पावना जिले के मोहनापुर गांव में हुआ था। यह स्थान अब पूर्वी पाकिस्तान में है। उस वक्त लाहिड़ी के पिता क्षितिज मोहन लाहिड़ी व बड़े भाई बंग भंग आंदोलन में सजा भोग रहे थे। उनकी माता का नाम बसंत कुमारी था। लाहिड़ी के 91वें बलिदान दिवस को गोंडा जिला जेल में हवन-पूजन तथा राजकीय सम्मान के साथ श्रद्धापूर्वक मनाया जाएगा। (वार्ता)

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

UP : संभल में कैसे भड़की हिंसा, 3 लोगों की मौत का कौन जिम्मेदार, औवेसी का भी आया बयान, क्या बोले पुलिस अधिकारी

दैत्यों के साथ जो होता है, वही हुआ, महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों पर बोलीं कंगना रनौत

मराठवाड़ा में महायुति की 46 में से 40 सीटें, क्या फेल हो गया मनोज जरांगे फैक्टर

संभल मामले में अखिलेश यादव का बड़ा बयान, हिंसा के लिए इन्‍हें ठहराया जिम्मेदार

बावनकुले ने बताया, कौन होगा महाराष्‍ट्र का अगला मुख्‍यमंत्री?

सभी देखें

नवीनतम

उत्तर प्रदेश में गूगल मैप ने ले ली 3 लोगों की जान, जानिए कैसे हो गया हादसा?

ठंड दिखाने वाली है अपने तीखे तेवर, दक्षिण भारत में बारिश का अलर्ट, दिल्‍ली NCR में आई प्रदूषण में गिरावट

LIVE: संभल में हिंसा के दौरान 4 की मौत, कैसे रातोरात दफना दी गईं लाशें

महाराष्ट्र में कौन बनेगा मुख्यमंत्री, सस्पेंस बरकरार, क्या BJP फिर लेगी कोई चौंकाने वाला फैसला

संभल हिंसा पर कांग्रेस का बयान, बताया BJP-RSS और योगी आदित्यनाथ की साजिश

આગળનો લેખ
Show comments