चंडीगढ़। आलाकमान की कोशिशों के बाद भी पंजाब कांग्रेस में आपसी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश कांग्रेस नवजोत सिद्धू के समर्थक विधायक सुरजीत धीमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
उन्होंने साफ कहा है कि वे 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव कैप्टन के नेतृत्व में नहीं लड़ेंगे। साथ ही उन्होंने मांग की है कि आलाकमान को कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाना चाहिए।
अमरगढ़ से कांग्रेस विधायक धीमान के इस बयान ने ठंडी पड़ चुकी कलह को फिर भड़काने का काम किया है। धीमान को सिद्धू के करीबी बताया जाता है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मुहिम में सिद्धू के साथ ही वे भी जुटे थे। नेतृत्व परिवर्तन को लेकर देहरादून में हरीश रावत से मिलने वालों में भी धीमान भी शामिल थे।
अमरिंदर को लिखा पत्र : पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने रविवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को पत्र लिखकर किसानों की मांगों पर काम करने की मांग की, जिनमें आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज 'अनुचित' प्राथमिकी को रद्द करने की मांग शामिल है। सिद्धू ने कहा कि कांग्रेस हर स्तर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के साथ खड़ी है।
उन्होंने राज्य सरकार से कहा, 'हमें और अधिक करना चाहिए' और 'पंजाब में तीन काले कानूनों को किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देना चाहिए।' सिद्धू ने 32 कृषि निकायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दो दिन बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिखा। प्रतिनिधियों ने मुलाकात के दौरान अपनी मांगों को उठाया था।
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सिद्धू ने कहा, 'आपसे अनुरोध है कि आप 32 किसान यूनियनों द्वारा बुलाई गई बैठक में उठाई गईं मांगों पर ध्यान दें और आवश्यक कार्रवाई करें।'
सिद्धू ने कहा कि किसान नेताओं ने राज्य में आंदोलन के दौरान हिंसा के मामलों के कारण किसान संघों के खिलाफ दर्ज 'अन्यायपूर्ण और अनुचित' प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राज्य सरकार ने केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन दिया है। सिद्धू ने कहा, 'फिर भी, अप्रिय घटनाओं के कारण कुछ प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।'
उन्होंने कहा कि सरकार अनुकंपा के आधार पर प्रत्येक मामले पर विचार करने और सभी 'अनुचित' मामलों को रद्द करने के लिए एक तंत्र स्थापित कर सकती है। फसल खरीद से पहले केंद्र द्वारा भूमि रिकॉर्ड के बारे में जानकारी मांगे जाने के किसानों के डर का जिक्र करते हुए, सिद्धू ने राज्य सरकार से केंद्र के 'अन्याय' के खिलाफ लड़ने का अनुरोध किया। सिद्धू ने कहा, 'मैं व्यक्तिगत रूप से मानता हूं कि यह अनुचित है।' उन्होंने कहा कि दशकों से राज्य के कई हिस्सों में भूमि का विभाजन नहीं हुआ है।