Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

आतंकी ने की पीडीपी नेता की हत्या

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में बुधवार को सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का एक वरिष्ठ नेता गुलाम नबी पटेल आतंकी हमले में मारा गया जबकि उसके दो अंगरक्षक गंभीर रूप से घायल हो गए। वैसे यह कोई पहली राजनीतिक हत्या नहीं है जिसे आतंकियों ने अंजाम दिया हो बल्कि पिछले 30 सालों के आतंकवाद के दौर में आतंकी 800 से ज्यादा राजनीतिज्ञों को मौत के घाट उतार चुके हैं।
 
फिलहाल, सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी करते हुए हमलावर आतंकियों को पकड़ने के लिए एक तलाशी अभियान चलाया है। यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि पीडीपी में शामिल होने से पूर्व गुलाम नबी पटेल प्रदेश कांग्रेस के सक्रिय सदस्य और अपने इलाके के सरपंच भी थे।
 
जानकारी के अनुसार, डांगरपोरा-शादीमर्ग के रहने वाले सत्ताधारी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी पटेल बुधवार  दोपहर अपने वाहन में बैठकर कहीं जा रहे थे। उनके साथ उनके दो अंगरक्षक इम्तियाज अहमद जरगर और बिलाल अहमद मीर भी थे। पीडीपी नेता का वाहन जैसे ही पुलवामा के राजपोरा चौक में पहुंचा,वहां पहले से घात लगाए बैठे आतंकियों ने उन्हें निशाना बनाते हुए गोलियों की बौछार कर दी। पीडीपी नेता के अंगरक्षकों ने भी गोली का जवाब देना चाहा, लेकिन वह भी आतंकियों की गोलियों का शिकार हो गए। आतंकियों ने पीडीपी नेता व उनके अंगरक्षकों को मरा समझा और वहां से फरार हो गए।
 
गोलियों की आवाज सुनकर निकटवर्ती चौकी से पुलिस और सुरक्षाबलों के जवान तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने उसी समय घेराबंदी शुरु कर दी, लेकिन आतंकी भाग निकले थे। सुरक्षाकर्मियों ने खून से लथपथ पड़े पीडीपी नेता व उनके अंगरक्षकों को स्थानीय लोगों की मदद से निकटवर्ती अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने पीडीपी नेता को मृत घोषित कर दिया। दोनों घायल अंगरक्षकों की हालत भी चिंताजनक बताई जा रही है।
 
पिछले 30 सालों के आतंकवाद के दौर के दौरान सरकारी तौर पर आतंकियों ने 800 के करीब राजनीति से सीधे जुड़े हुए नेताओें को मौत के घाट उतारा है। इनमें ब्लाक स्तर से लेकर मंत्री और विधायक स्तर तक के नेता शामिल रहे हैं। हालांकि वे मुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंच पाए लेकिन ऐसी बहुतेरी कोशिशें उनके द्वारा जरूर की गई हैं।
 
राज्य में विधानसभा चुनावों के दौरान सबसे ज्यादा राजनीतिज्ञों को निशाना बनाया गया है। इसे आंकड़े भी स्पष्ट करते हैं। वर्ष 1996 के विधानसभा चुनावों में अगर आतंकी 75 से अधिक राजनीतिज्ञों और पार्टी कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारने में कामयाब रहे थे तो वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव उससे अधिक खूनी साबित हुए थे जब 87 राजनीतिज्ञ मारे गए थे।
 
ऐसा भी नहीं था कि बीच के वर्षों में आतंकी खामोश रहे हों बल्कि जब भी उन्हें मौका मिलता वे लोगों में दहशत फैलाने के इरादों से राजनीतिज्ञों को जरूर निशाना बनाते रहे थे। अगर वर्ष 1989 से लेकर वर्ष 2005 तक के आंकड़ें लें तो 1989 और 1993 में आतंकियों ने किसी भी राजनीतिज्ञ की हत्या नहीं की और बाकी के वर्षों में यह आंकड़ा 8 से लेकर 87 तक गया है। इस प्रकार इन सालों में आतंकियों ने कुल 671 राजनीतिज्ञों को मौत के घाट उतार दिया।
 
अगर वर्ष 2008 का रिकार्ड देंखें तो आतंकियों ने 16 के करीब कोशिशें राजनीतिज्ञों को निशाना बनाने की अंजाम दी थीं। इनमें से वे कई में कामयाब भी रहे थे। चौंकाने वाली बात वर्ष 2008 की इन कोशिशों की यह थी कि यह लोकतांत्रिक सरकार के सत्ता में रहते हुए अंजाम दी गईं थी जिस कारण जनता में जो दहशत फैली वह अभी तक कायम है।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

नवीनतम

Jammu and Kashmir : गुलमर्ग में आतंकी हमले में 4 की मौत, 2 जवान और 2 पोर्टर भी शामिल, 3 घायलों की हालत नाजुक

Maharashtra : कांग्रेस ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए जारी की 48 उम्मीदवारों की लिस्ट

पत्रकार के खिलाफ FIR पर Supreme Court की फटकार, जानिए क्‍या है पूरा मामला...

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कनाडाई PM जस्टिन ट्रूडो के सामने संसद में भड़के सांसद, बोले- खालिस्तानी आतंकियों को गंभीरता से क्यों नहीं लेते...

આગળનો લેખ
Show comments