Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

1 हजार रुपए देकर नवजोत सिद्धू 'हत्‍या' से मुक्‍त हो जाएंगे!

1 हजार रुपए देकर नवजोत सिद्धू 'हत्‍या' से मुक्‍त हो जाएंगे!
, गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022 (22:06 IST)
नई दिल्‍ली। उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि रोड रेज के 32 साल पुराने मामले में क्रिकेट से राजनीति में आए नवजोत सिंह सिद्धू को मई 2018 में सुनाई गई सजा पर दायर पुनर्विचार याचिका सुनवाई के लिए अचानक सूचीबद्ध नहीं की गई है।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित करने का अनुरोध करने वाली सिद्धू के वकील की याचिका पर कहा कि अर्जी में कहा गया है कि मामला अचानक सूचीबद्ध किया गया।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, हमें (सुनवाई) स्थगित करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अधिवक्ता ने अर्जी में कहा है कि (मामला) अचानक सूचीबद्ध किया गया है। वास्तव में मैंने कार्यालय से पता किया कि क्या यह सही है। यह तथ्य सही नहीं है क्योंकि इसे एडवांस सूची में दिखाया गया था।

पीठ ने कहा, इसलिए हमने यहां दिया गया तथ्य गलत है, यह बताना तय किया। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री को इस मामले में नहीं घेरा जाना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 25 फरवरी तय करते हुए पीठ ने कहा कि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, सिद्धू को इस संबंध में जारी नोटिस सितंबर 2018 में ही प्राप्त हुआ था।

सिद्धू की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदंबरम ने कहा कि उन्हें लगता है कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के कहने का अर्थ यह है कि उनके लिए यह अचानक है, क्योंकि उन्हें मामले की जानकारी नहीं थी। चिदंबरम ने पीठ से अनुरोध किया था कि वह मामले को सुनवाई के लिए 23 फरवरी के बाद सूचीबद्ध करे। इस पर पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई 25 फरवरी को करेगी।

सिद्धू फिलहाल कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष हैं और राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 फरवरी को होना है। उच्चतम न्यायालय ने 15 मई, 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाने का पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कांग्रेस नेता को वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने का दोषी पाया था।

न्यायालय ने सिद्धू को 65 वर्षीय बुजुर्ग को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी करार दिया था, लेकिन उन्हें जेल की सजा नहीं सुनाई और सिर्फ 1000 रुपए का जुर्माना लगाया था। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने की सजा) के तहत दोषी को अधिकतम एक साल कैद, 1000 रुपए का जुर्माना या दोनों, की सजा सुनाई जा सकती है।(भाषा) 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

योगी आदित्यनाथ ने साधा सपा पर निशाना, कहा- इनका विकास कब्रिस्तान की चारदीवारी तक सीमित