Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

कश्मीर में बारूदी सुरंगों के साए में लाखों जिंदगियां...

कश्मीर में बारूदी सुरंगों के साए में लाखों जिंदगियां...

सुरेश एस डुग्गर

, शुक्रवार, 26 मार्च 2021 (17:01 IST)
जम्मू। खबर पढ़कर चौंक जाना पड़ सकता है कि जम्मू कश्मीर की जनता खतरनाक बारूदी सुरंगों के साए तले जिन्दगी काट रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के करीब 1900 वर्ग किमी के एरिए में लाखों बारूदी सुरंगें दबी पड़ी हैं जिनके आसपास लाखों लोगों की जिन्दगी रोजाना घूमती है। हालांकि इससे अधिक एरिया और संख्या में बारूदी सुरंगें उस कश्मीर में दबी पड़ी हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेंडमाइन्स अर्थात बारूदी सुरंगों पर प्रतिबंध लागू करवाने के लिए जुटे करीब 1000 संगठनों की ताजा रिपोर्ट ने यह आंकड़े पेश किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इतनी संख्या में बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल करने और उनका भंडारण करने वाले देशों में भारत का स्थान अगर 6ठा है तो पाकिस्तान पांचवें स्थान पर आता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर को बांटने वाली एलओसी तथा जम्मू सीमा के हजारों गांवों में लाखों लोग प्रतिदिन इन बारूदी सुरंगों के साए में अपना दिन आरंभ करते हैं और रात भी इसी पांव तले दबी मौत के साए तले काटते हैं। ऐसा भी नहीं है कि ये बारूदी सुरंगें आज-कल में बिछाई गई हों, बल्कि देश के बंटवारे के बाद से ऐसी प्रक्रिया अपनाई गई थी और रिपोर्ट के मुताबिक भारत व पाकिस्तान की सरकारों ने माना है कि हजारों बारूदी सुरंगें अपने स्थानों से लापता हैं।

एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बारूदी सुरंगों के संजाल की बात तो समझ में आती है, लेकिन इस रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में कई ऐसे गांव हैं जिनके चारों ओर बारूदी सुरंगें बिछाई गई हैं। रिपोर्ट कहती है कि इनमें से अगर आतंकवादग्रस्त क्षेत्र भी हैं तो वे गांव भी हैं, जिन्हें एलओसी पर लगाई गई तारबंदी दो हिस्सों में बांटती है।

ये सुरंगें आज नागरिकों को क्षति पहुंचा रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कुपवाड़ा के वरसुन गांव की कथा बहुत दर्दनाक है, जहां 1990 के आरंभ में सेना ने अपने कैंप के आसपास हजारों बारूदी सुरंगें दबाई थीं और अब वहां कैंप नहीं है, पर बारूदी सुरगें वहीं हैं।

यह वहीं पर इसलिए हैं क्योंकि सेना दबाई गई बारूदी सुरंगों के मैप को खो चुकी है, तो करनाह के करीब चार गांव ऐसे हैं, जिन्हें एलओसी की तारबंदी के साथ-साथ अब बारूदी सुरंगों की दीवार ने भी बांट रखा है। कई घरों के बीच से होकर गुजरने वाली बारूदी सुरंगों की दीवार को आग्रह के बावजूद भी हटाया नहीं जा सका है तो वर्ष 2002 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के करीब की स्थिति के दौरान ऑपरेशन पराक्रम के दौरान दबाई गई लाखों बारूदी सुरंगों में से सैकड़ों अभी भी लापता हैं। इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया जा चुका है।

बारूदी सुरंगें कितना नुकसान पहुंचा रही हैं, सरकारी आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं। रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1989 से लेकर 1999 तक 10709 मौतें जम्मू कश्मीर और आंध्र प्रदेश में इन बारूदी सुरंगों के कारण हो चुकी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पुंछ जिले के मेंढर कस्बे में अकेले 2000 ऐसे हादसे हो चुके हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

World Corona Update: विश्व में कोरोना के मामले साढ़े 12 करोड़ के पार, 27.55 लाख से अधिक लोगों की मौत