Naresh Goyal: बम्बई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल (Naresh Goyal) द्वारा दायर एक याचिका मंगलवार को खारिज कर दी जिसमें उन्होंने बैंक ऋण चूक से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले (money laundering case) में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अपनी अवैध गिरफ्तारी को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने कहा कि याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता और इसलिए इसे खारिज किया जाता है। अदालत ने कहा कि गोयल जमानत याचिका जैसे अन्य वैधानिक उपाय का उपयोग कर सकते हैं।
गोयल ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उन्हें मामले में ईडी द्वारा अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया था। गोयल ने अपनी याचिका में दावा किया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी, क्योंकि यह मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का पालन किए बिना की गई थी।
उन्होंने एक विशेष अदालत के आदेशों को भी चुनौती दी जिसने उन्हें पहले ईडी की हिरासत में और उसके बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। ईडी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि गिरफ्तारी कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद की गई थी।
ईडी ने कहा कि गोयल की हिरासत जरूरी है, क्योंकि वे टालमटोल कर रहे हैं और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। एजेंसी ने अपने हलफनामे में यह भी कहा कि गोयल द्वारा दायर याचिका पूरी तरह से झूठी, परेशान करने वाली, कानून की दृष्टि से खराब और एक गुप्त उद्देश्य से दायर की गई है।
ईडी ने कहा कि यह याचिका कानूनी हिरासत से बचने और भागने का एक साधन मात्र है। गोयल फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं।
गोयल को 1 सितंबर को ईडी ने गिरफ्तार किया था और एक विशेष अदालत के समक्ष उन्हें पेश किया गया जिसने उन्हें 14 सितंबर तक एजेंसी की हिरासत में भेज दिया। 14 सितंबर को गोयल को 2 सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। गोयल ने याचिका में दावा किया कि उनकी गिरफ्तारी मनमाने ढंग से और अवांछित थी और ईडी द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई थी। उन्होंने तुरंत रिहा किए जाने का अनुरोध किया।
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला केनरा बैंक से 538 करोड़ रुपए की कथित धोखाधड़ी के मामले में जेट एयरवेज, गोयल, उनकी पत्नी अनिता और अब बंद हो चुकी निजी एयरलाइन के कुछ पूर्व कंपनी अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी से उपजा है।
प्राथमिकी बैंक की शिकायत पर दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने जेट एयरवेज (इंडिया) लिमिटेड को 84,886 करोड़ रुपए की ऋण सीमा और ऋण मंजूर किए थे जिसमें से 53,862 करोड़ रुपए बकाया थे।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta