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कश्मीर में सेना के लिए मुश्किल बढ़ाएगी गर्मी

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। सेनाधिकारियों का कहना है कि आने वाली गर्मियां जम्मू कश्मीर के लिए भयानकता से तो भरी होंगी ही खूनी भी साबित होंगी। ऐसा कहना है भारतीय सेना के उन अधिकारियों का जो एलओसी पर होने वाली घुसपैठ की घटनाओं पर नजर रखे हुए हैं।
 
इन सेनाधिकारियों के बकौल, पाकिस्तान आतंकवादियों को इस ओर धकेलने के प्रति ‘वचनबद्ध’ है तो हम उन्हें रोकने के लिए प्रतिबद्ध। वे कहते हैं, इस बार की गर्मियां कुछ अलग ही होंगी जम्मू कश्मीर के लिए क्योंकि सीमाओं पर विशेषकर एलओसी पर आतंकियों की घुसपैठ को रोकने के लिए भारतीय सेना नई तकनीकों के साथ ही अत्याधुनिक उपकरणों और हथियारों का इस्तेमाल आरंभ कर चुकी है।
 
रक्षाधिकारी कहते हैं कि भारतीय सेना को भी घुसपैठ रोकने की खातिर नई तकनीकों और उपकरणें का इस्तेमाल करने पर मजबूर इसलिए होना पड़ा क्योंकि घुसपैठियों द्वारा जो तकनीकें अपनाई जा रही हैं वे हैरान कर देने वाली हैं। वे बताते हैं कि एलओसी पर बिछाई गई बारूदी सुरंगों का कोई लाभ इसलिए नहीं मिल रहा है क्योंकि घुसपैठियों को पाक सेना की ओर से बारूदी सुरंग विरोधी बूट भी मुहैया करवाए जा रहे हैं।
 
‘लेकिन यह कोई चिंता की बात नहीं है। हमारे जवानों का हौंसला बुलंद है और अब वे नई तकनीकों, हथियारों तथा उपकरणों से लैस हो रहे हैं ताकि दुश्मन को मात दी जा सके,’सेनाधिकारी कहते हैं। वे बताते हैं कि एलओसी पर घुसपैठियों को रोकने की खातिर तैनात सैनिकों को बुलेटप्रूफ जैकेटें, स्निपर राइफलें, रात को देखने वाले यंत्र, अंधेरे में देखने वाली ऐनकें तो मुहैया करवाई ही जा रही हैं, घुसपैठ का पता लगाने के लिए राडारों का इस्तेमाल भी आरंभ किया गया हैै।
 
एलओसी पर घुसपैठ की घटनाओं को रोकने के लिए जिम्मेदार इन अधिकारियों का कहना था कि आतंकवाद के खिलफा लड़ाई को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है। ‘ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि एलओसी को लांघने वाले अत्याधुनिक हो चुके हैं और अब हमने राष्ट्रीय रायफल्स का जो आधुनिकरण किया है, उसके परिणाम भी सामने आने आरंभ हो गए हैं। 
 
वे कहते हैं कि इसरायली सेंसर और राडारों की तैनाती के बाद एलओसी पर घुसपैठ बंद तो नहीं हुई है लेकिन कठिन जरूर बना दी गई है। इन राडारों के प्रति मिलने वाली शिकायतों के प्रति उनका कहना था कि किसी भी नई तकनीक को सीखने -समझने में समय तो लगता ही है।
 
एलओसीपर घुसपैठ को और कठिन बनाने के लिए अपनाए जारहे तरीकों का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि एलओसी के उन दर्रों मार्गों पर फिर तारबंदी करने का फैसला भी लिया गया है जो घुसपैठ के परंपरागत रास्ते माने जाते हैं तथा जहां से तारबंदी बर्फबारी के कारण क्षतिग्रस्त हो चुकी है। वैसे इन पर बारूदी सुरंगें पहले ही बिछाई जा चुकी हैं। 

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