चेन्नई। तमिलनाडु के मदुराई में जल्लीकट्टू का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सांडों और जांबाज के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस मुकाबले में शामिल लोग दौड़ते हुए सांडों को काबू में करने की कोशिश करते हैं।
मदुराई के अवनीयपुरम में आयोजित हो रहे इस मुकाबले में 700 सांड और 730 जांबाज भाग ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 2014 में अदालत द्वारा जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन 2017 में स्थानीय लोगों के भारी विरोध के चलते सैकड़ों वर्ष पुराने इस आयोजन पर प्रतिबंध लगाने से इंकार कर दिया था।
क्या है जल्लीकट्टू : जल्लीकट्टू का शाब्दिक अर्थ होता है 'सांड को गले लगाना'। 'जल्ली' का मतलब होता है सिक्का और 'कट्टू' का मतलब होता है बांधना।
इसकी शुरुआत ईसा-पूर्व काल में हुई थी जब सोने के सिक्कों को सांड के सींग में बांधकर इसे खोला जाता था। इस खेल के दौरान सांड को एक बाड़े में से छोड़ दिया जाता है और नौजवान मर्दों की भीड़ की चिल्लाहट सुनकर सांड दौड़ पड़ते हैं।
तमिल साहित्य के अनुसार महिलाएं उन्हीं पुरुषों से विवाह करती थीं जो बैल (सांड) पर काबू पाते थे। उस समय बैल को अपने काबू में करने का यह खेल जीवन-मरण का खेल होता था।