प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर हिमाचल में धार्मिक स्थलों की कमी भी नहीं है। यही कारण है कि इस प्रदेश को देवभूमि भी कहा जाता है। हिन्दुओं के अलावा यहां बौद्धों के भी कई मठ हैं। साथ ही सिख एवं ईसाइयों के धार्मिक स्थल भी यहां स्थित हैं। आइए जानते हैं हिन्दु समुदाय के प्रमुख 5 धार्मिक स्थल...
लक्ष्मी नारायण मंदिर : पुरातन शैली का चंबा का लक्ष्मी नारायण मंदिर दरअसल मंदिरों का समूह है। इसका निर्माण काल 8वीं शताब्दी का बताया जाता है। यहां भगवान शिव और विष्णु के मंदिर हैं। इन मंदिरों में लक्ष्मी नारायण मंदिर सबसे पुराना है। शेष मंदिर चंबा शहर के चारों ओर स्थापित हैं, जो कि हरिराय, चम्पावती, बंसीगोपाल, रामचंद्र, ब्रिजेश्वरी, चामुंडा और भगवान नरसिंह को समर्पित हैं।
मणिमहेश मंदिर : यह प्राचीन मंदिर माता लक्ष्मी का है, जहां माता की पूजा महिषासुरमर्दिनी के रूप में की जाती है। हर वर्ष जन्माष्टमी के मौके पर मणिमहेश यात्रा शुरू होती है। यह यात्रा चंबा जिले के लक्ष्मी नारायण मंदिर से आरंभ होती है और श्रद्धालु भरमौर के पहाड़ी रास्ते से होते हुए पवित्र मणिमहेश झील में डुबकी लगाते हैंI
चौरासी मंदिर : भरमौर में स्थित चौरासी मंदिर चंबा घाटी में सबसे महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिरों में से एक है। इन्हें 9वीं शताब्दी का बताया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार अनुसार राजा साहिल वर्मन की राजधानी भरमौर में 84 योगियों ने दौरा किया था। उन्होंने राजा की विनम्रता और आदर सत्कार से खुश हो कर उन्हें 10 पुत्रों और 1 पुत्री (चम्पावती) का आशीर्वाद दिया था। संभवत: चौरासी योगियों की वजह से इस मंदिर का नाम चौरासी मंदिर पड़ा।
ब्रिजेश्वरी मंदिर: यह मंदिर कांगड़ा शहर से ठीक बाहर स्थित है। ब्रिजेश्वरी माता का मंदिर अत्यधिक धन-सम्पदा के लिए जाना जाता रहा है। यही कारण रहा कि यह आक्रमणकारियों की लूट का भी शिकार बना। 1905 में आए भीषण भूकंप में यह मंदिर पूरी तरह से ध्वस्त हो गया था। 1920 में इसे पुन: तीर्थयात्रा के लिए तैयार कर दिया गया।
नयना देवी मंदिर : बिलासपुर और कीरतपुर के नजदीक एक शिखर पर बना है माता नयनादेवी का मंदिर। हर साल जुलाई-अगस्त में श्रावण अष्टमी को रंगारंग मेलों का आयोजन होता है। हिमाचल के अतिरिक्त भारत के अन्य हिस्सों से भी श्रद्धालु नयना माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।