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हिमाचल के मंडी में पहाड़ धंसने से दो बसें जमींदोज, 46 की मौत

हिमाचल के मंडी में पहाड़ धंसने से दो बसें जमींदोज, 46 की मौत
मंडी , सोमवार, 14 अगस्त 2017 (08:52 IST)
हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले के पास कोतरुपी गांव में कल रात अचानक बादल फटे जिसके चलते पहाड़ी पर भयंकर भूस्खलन की चपेट में सड़क पर चली रही दो बसें आ गई जो लुढ़कर खाई में जा गिरी और जमींदोज हो गई। बताया जा रहा है कि इस हादसे में कम से कम 46 लोगों की मौत हो गई जबकि मरने वालों का आंकड़ा बढ़ भी सकता है। कम से कम 50 लोगों के जमींदोज हो जाने की आशंका है।
 
प्रशासन की ओर से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है ये नंबर 01905-226201, 202,203 हैं. इसके अलावा परिवहन निगम की ओर से भी हेल्पलाइन नंबर जारी किया है जो 01905235538 और मोबाइल नंबर 9418001051 है।
 
इस घटना में सड़क का 150 मीटर से अधिक हिस्सा धंस गया, कई घर, दो बसें और कुछ अन्य वाहन मलबे में दफन हो गए। सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि दिनभर चले बचाव अभियान में 46 शव बरामद किए गए और पांच घायलों को बचाया गया।
 
बताया जा रहा है कि चट्टान गिरने से जम्मू के कटरा जा रही पहली बस कुछ फीट नीचे लुढ़क गई और बीच में कहीं फंस गई। चंबा जिले की ओर जा रही दूसरी बस 900 मीटर नीचे जा गिरी। भूस्खलन इतना भयावह था कि इसने राष्ट्रीय राजमार्ग को 150 मीटर की लंबाई में छतिग्रस्त कर दिया। 
          
भूस्खलन का कारण पहाड़ी की चोटी पर बादल का फटना बताया जाता है। इसके कारण एक कार, एक जीप और दो दोपहिया वाहन तथा सड़क किनारे बने कुछ अस्थाई घर भी बह गए।
 
रिपोर्टो के मुताबिक मनाली-कटरा बस में यात्रा कर रहे पहली बस में करीब 7 से 8 लोग सवार थे जिसमें से पांच यात्रियों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। दूसरी बस में सवार 45 से 50 यात्रियों के बस में फंसे होने तथा जमींदोज हो जाने की आशंका है जिसमें से अब तक 46 शव निकाले जा चुके हैं। भयावह भूस्खलन की चपेट में आकर राजमार्ग पर रूके कई दूसरे वाहनों के बहने के कारण मौत की संख्या बढ़ने की आशंका है। 
 
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन के अधिकारी, होमगार्ड, लोक निर्माण विभाग और स्थानीय लोगों की मदद से राहत तथा बचाव कार्य शुरू किया। मलबे से ढ़ाई बजे तक पांच शव और पांच घायलों को निकाल लिया गया। उपायुक्त संदीप कदम अपने अधिकारियों, पुलिस तथा डाक्टरों के साथ सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचे।
 
राहत, बचाव और पुनर्वास कार्य युद्धस्तर पर चलाने के लिए कांगरा से राष्ट्रीय आपदा राहत बल तथा सेना को बुलाया गया है। सुबह में राहत अभियान तेज होते ही और शव निकाले गए। घायलों को मंडी क्षेत्रीय अस्पताल ले जाया गया जहां उनमें से तीन को शिमला के आईजीएमसी में रेफर कर दिया गया। दो अन्य को प्राथमिक उपचार के बाद छोड़ दिया गया।
 
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, जो व्यक्तिगत रूप से शिमला से घटनास्थल पहुंचे, ने राहत कार्यो का जाएजा लिया। उन्होंने बाद में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे राहत एवं बचाव कार्य की गति से संतुष्ट हैं तथा इसमें और तेजी लाने के भी निर्देश दिए हैं।
 
उन्होंने कहा कि जब तक आखिरी पीड़ित को मलबे से नहीं निकाल लिया जाता, तब तक यह अभियान चलता रहेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य की भौगोलिक स्थिति के कारण ऐसी घटनाओं को रोका नहीं जा सकता लेकिन राज्य सरकार घटना से प्रभावित लोगों को हरसंभव मदद देगी। 
         
मुख्यमंत्री ने मृतकों तथा घायलों के परिजनों के बीच तत्काल राहत का भी वितरण किया। उन्होंने प्रशासन को जान-माल के हुए नुक्सान का ब्यौरा उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया ताकि सहायता राशि का वितरण किया जा सके। सिंह ने मृतकों के परिजनों से भी मुलाकात की और शोक तथा संवेदना व्यक्त की। 
 
पूर्व मुख्यमंत्री तथा विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल, भारतीय जनता पार्टी के सांसद रामस्वरूप शर्मा, परिवहन मंत्री जी एस बाली, स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, ग्रामीण विकास मंत्री अनिल शर्मा तथा आबकारी मंत्री प्रकाश चौधरी भी घटनास्थल पर आए तथा भूस्खलन में लोगों की मौत पर गहरा दु:ख व्यक्त किया। 
 
स्वास्थ्य मंत्री ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपए तथा परिवहन मंत्री ने एचआरटीसी की ओर से एक-एक लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। (वार्ता)

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