Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

जम्मू-कश्मीर में बरपा गर्मी का कहर, 6 से 8 घंटे की बिजली कटौती से जीना हुआ मुहाल

सुरेश एस डुग्गर
शनिवार, 30 अप्रैल 2022 (16:37 IST)
जम्मू। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के लिए गर्मी इस बार कुछ ज्यादा ही कहर बरपा रही है। उससे ज्यादा कहर प्रशासनिक फैसले और उसकी असंवेदनशीलता है। हाल यह है कि प्रदेश में 6 से 8 घंटे के घोषित बिजली कट के साथ ही इतनी अवधि की अघोषित बिजली कटौती खून के आंसू रुला रही है। इसमें प्रशासन की उस सलाह ने जबर्दस्त तड़का लगाया है जिसमें कश्मीरियों को इस बार धान की फसल न लगाने के लिए कहा गया है।

ALSO READ: बिजली संकट : मोदी सरकार पर भड़के चिदंबरम, कहा- सरकार ने ढूंढा 'सही समाधान'
 
करीब 1 महीने तक 10 से 12 घंटों की अघोषित कटौती के बाद बिजली विभाग ने शहरों में आज 6 घंटों की कटौती का शेडयूल तो जारी किया, पर तापमान के 42 को छूने के कारण वह इस पर टिक नहीं पाया। नतीजतन 8 से 14 घंटों की कटौती सहन करने को मजबूर लोगों में त्राहि-त्राहि मची है।
 
मजेदार बात यह है कि पिछले 1 साल से स्मार्ट मीटर लगाने की मुहिम में जुटा विभाग अखबारों में बड़े-बड़े इश्तहार देकर 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने के लंबे चौड़े दावे कर रहा था, पर अब वे सभी अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। बिजली विभाग के एक अधिकारी का कहना था कि आप मौसम के प्रति कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकते।
प्रशासन कहता है कि जबर्दस्त गर्मी और बारिशें न होने से बिजली की मांग बढ़ी है और उत्पादन कम हो गया है।
 
हालांकि केंद्र ने प्रदेश को और 200 मेगावॉट बिजली देने की घोषणा की, पर वह 'ऊंट के मुंह में जीरे' के ही समान है। कारण यह है कि मांग 1500 मेगावॉट की है और इसको मिलाकर आपूर्ति 700 मेगावॉट तक ही पहुंच पाई है। नतीजा यह है कि बिजली आपूर्ति न होने से कई इलाकों में 3 से 5 दिनों तक पीने के पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है और लोगों के कंठ सूख रहे हैं।
 
इसी क्रम में प्रशासन की उस सलाह ने कश्मीरियों के जख्मों पर नमक छिड़का है जिसमें कहा जा रहा है कि वे इस बार धान की फसल को न लगाएं। दरअसल इस बार पर्याप्त बर्फबारी व बारिश न होने पैदा हुए हालात देख सिंचाई विभाग ने किसानों को सिंचाई विभाग ने धान की खेती न करने की सलाह जारी की है। फिलहाल यह सलाह उत्तरी कश्मीर के लिए है, लेकिन ऐसे ही हालात रहे तो वादी के शेष हिस्सों के किसानों को भी इस पर अमल करने की जरूरत पड़ सकती है। किसानों से कहा गया है कि इस बार धान के बजाय ऐसी फसल लगाएं जिसे कम पानी की जरूरत होती है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

क्‍या अब लुटियंस दिल्‍ली में रहती हैं पूर्व पीएम शेख हसीना, बांग्‍लादेश में क्‍यों नहीं थम रहा बवाल?

पहले दोस्त से सुहागरात का वीडियो बनवाया, फिर करने लगा ब्लैकमेल

शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय को दिग्विजय सिंह की नसीहत

बाल संत अभिनव अरोड़ा से गुस्‍साए स्वामी रामभद्राचार्य, स्टेज से उतारा-कहा नीचे उतरो

शुक्रवार को फिर मिली 25 से ज्‍यादा विमानों को बम से उड़ाने की धमकी

सभी देखें

नवीनतम

चीन के साथ समझौते का क्या निकला नतीजा, उत्तरी सैन्य कमांडर ने दिया यह बयान

Burger King Murder Case में आरोपी लेडी डॉन अनु धनखड़ नेपाल सीमा से गिरफ्तार

अहमदाबाद में 48 अवैध बांग्लादेशी गिरफ्तार, वापस भेजा जाएगा स्वदेश

गुलमर्ग हमले के बाद आतंकियों की तलाश के लिए हेलीकॉप्टर और ड्रोन तैनात

7 फर्जी ED अफसर कर रहे थे जबरन वसूली, जानिए फिर क्‍या हुआ...

આગળનો લેખ
Show comments