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गुरमीत राम रहीम पर चलेगा मुकदमा, सीएम मान ने दी अभियोजन को मंजूरी

गुरमीत राम रहीम पर चलेगा मुकदमा, सीएम मान ने दी अभियोजन को मंजूरी

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024 (18:52 IST)
Guru Granth Sahib sacrilege case : पंजाब (Punjab) सरकार ने जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह (Gurmeet Ram Rahim Singh) के खिलाफ 2015 में हुई बेअदबी की घटनाओं को लेकर मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इन घटनाओं के कारण प्रदर्शन भड़क उठा था और पुलिस की गोलीबारी में 2 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को चंडीगढ़ में यह जानकारी दी।
 
पंजाब सरकार का यह कदम उच्चतम न्यायालय के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा बेअदबी के 3 मामलों की सुनवाई पर लगाई गई रोक को हटाने के कुछ दिनों बाद आया है। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली पंजाब सरकार की एक याचिका पर 18 अक्टूबर को यह आदेश पारित किया था। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में फरीदकोट में दर्ज 3 मामलों में सुनवाई पर रोक लगा दी थी।ALSO READ: हरियाणा चुनाव से पहले गुरमीत राम रहीम ने 20 दिन की पैरोल मांगी
 
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार शाम को अभियोजन की मंजूरी दे दी। डेरा प्रमुख 2017 में अपनी 2 अनुयायियों से बलात्कार के जुर्म में 20 वर्ष जेल की सजा काट रहा है। डेरा प्रमुख और उसके 3 अन्य सहयोगियों को 16 साल से अधिक समय पहले एक पत्रकार की हत्या के मामले में भी 2019 में दोषी ठहराया गया था। सिंह हरियाणा के रोहतक जिले में सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। उसे 2 अक्टूबर को 20 दिन की पैरोल दी गई थी।
 
बुर्ज जवाहर सिंह वाला गुरुद्वारा से गुरु ग्रंथ साहिब की एक 'बीर' (प्रतिलिपि) की चोरी, बरगाड़ी और बुर्ज जवाहर सिंह वाला में हस्तलिखित बेअदबी वाले पोस्टर लगाने और बरगाड़ी में पवित्र ग्रंथ के फटे पन्ने बिखरे हुए पाए जाने से संबंधित बेअदबी की ये घटनाएं 2015 में पंजाब के फरीदकोट में हुई थीं।ALSO READ: 11वीं बार फिर जेल से बाहर आएगा गुरमीत राम रहीम, EC ने हरियाणा सरकार को पैरोल के लिए दी इजाजत
 
इन घटनाओं के कारण फरीदकोट में बेअदबी विरोधी प्रदर्शन हुए थे। अक्टूबर 2015 में बहबल कलां में बेअदबी के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 2 लोग मारे गए थे जबकि फरीदकोट के कोटकापुरा में कुछ लोग घायल हो गए थे। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एस.पी.एस. परमार के नेतृत्व में पंजाब पुलिस के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बेअदबी की 3 घटनाओं में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को मुख्य आरोपियों में से एक माना था।
 
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के तहत किसी पर मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी आवश्यक है। उच्च न्यायालय ने इस वर्ष मार्च में डेरा प्रमुख के खिलाफ बेअदबी के मामलों में मुकदमे पर रोक लगा दी थी। सिंह ने राज्य सरकार की 6 सितंबर, 2018 की अधिसूचना की वैधता को यह कहकर चुनौती दी थी कि इन मामलों की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दी गई सहमति वापस ले ली गई है और उसने अदालत से केंद्रीय जांच एजेंसी को जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।ALSO READ: रणजीत हत्याकांड में गुरमीत राम रहीम दोषमुक्त, 22 साल पुराने मामले में हाई कोर्ट ने दी बड़ी राहत
 
तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल (शिअद)-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार ने 2015 में बेअदबी के 3 मामलों में जांच सीबीआई को सौंपी थी। इसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती पंजाब सरकार ने राज्य विधानसभा द्वारा इन मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई सहमति वापस लेने का प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद जांच में प्रगति की कमी का हवाला देते हुए सितंबर 2018 में पंजाब पुलिस के विशेष जांच दल को जांच का जिम्मा सौंपा था।
 
पिछले महीने पंजाब विधानसभा के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री मान ने कहा था कि उनकी सरकार गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के दोषियों को कड़ी सजा दिलाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। कांग्रेस ने बेअदबी मामलों में सिंह के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने में देरी को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाया था।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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