Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

देश की पहली किन्नर विधायक शबनम मौसी ने किन्नरों की मौत पर किया बड़ा खुलासा

सीमान्त सुवीर
दिवाली पर्व के बाद देवउठनी ग्यारस के साथ ही विवाह के शुभ प्रसंगों के दरवाजे खुल जाते हैं और लंबे समय से इंतजार कर रहे जोड़ों की बांछें भी खिल जाती हैं। इसी के साथ वे किन्नर भी खुश हो जाते हैं, जो मांगलिक प्रसंगों पर नेग के जरिए अपनी जेबें गरम करते हैं। किन्नरों का माया संसार कुछ ऐसा है कि जिसमें हरेक की दिलचस्पी हमेशा बनी रहती है, खासकर उनकी निजी जिंदगी को लेकर...! किन्नरों की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार कैसे होता, इस पर आम मान्यताओं के बारे में देश की पहली किन्नर विधायक शबनम मौसी ने एक बड़ा खुलासा किया है।
 
 
जूते-चप्पलों से मारते हुए नहीं ले जाते मय्यत : आम धारणा है कि जब भी किसी किन्नर की मौत होती है तो उसकी मय्यत को दूसरे किन्नर जूते-चप्पलों से मारते हुए ले जाते हैं। यह ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उसका अगला जन्म किन्नर के रूप में नहीं हो और वह आम बच्चों की तरह जन्म ले...। इस बारे में शबनम मौसी ने साफ कहा कि लोगों की धारणा एकदम गलत है। किसी भी किन्नर की मय्यत को जूते-चप्पल नहीं मारते। लोगों को पता ही नहीं है कि किन्नर का दाह-संस्कार कैसे होता है?
 
किन्नर की मौत पर ऐसा होता है : जब भी किसी किन्नर की मौत होती है, तब उसका पता सिर्फ उनकी बिरादरी को ही होता है, क्योंकि अस्पताल में इलाज करवाने और मौत के मुंह से बचाने की कोई कोशिश नहीं होती। शबनम मौसी के अनुसार जब भी किन्नर की मौत होती है, तब जिस मोहल्ले में वे रहते हैं, वहां उनके मुंहबोले भाई, काका, बाबा बन जाया करते हैं और यही लोग उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं। यह काम आधी रात को होता है, जब दुनिया नींद के आगोश में रहती है।
 
मय्यत में नहीं जाते दूसरे किन्नर : शबनम मौसी ने आधिकारिक तौर पर कहा कि किन्नर समाज के लोग यानी दूसरे किन्नर कभी भी मय्यत में नहीं जाते। इससे वो बात बिलकुल झूठी है कि किन्नर के अंतिम संस्कार के वक्त उसे जूते मारते हुए ले जाते हैं। यह काम कुछ लोगों द्वारा ही संपन्न होता है, जो बहुत विश्वास वाले होते हैं। हमारी भाषा में इस तरह की नेकी होती है, जो बहुत गुप्त रखी जाती है।
कैसे और किस वक्त होता है अंतिम संस्कार : जब भी कोई किन्नर इस दुनिया से दूसरी दुनिया में चला जाता है तो इसकी खबर केवल उसकी बिरादरी को ही होती है, जहां वह गुजर-बसर करता है। किन्नर के अंतिम संस्कार के रूप में पहले से ही खास जगह चुन ली जाती है, जहां मुंहबोले रिश्तेदार बने भाई, काका, बाबा, दादा जाकर उसे दफना देते हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह मुस्लिम समाज में कब्र खोदकर दफनाने का रिवाज है। कुछ जगह तो उसी कमरे में कब्र खोदकर किन्नर को दफना दिया जाता है, जहां वह रहता है।
 
शबनम मौसी पर गर्व है किन्नरों को : मध्यप्रदेश का किन्नर समाज शबनम मौसी को बहुत आदर देता है। इन किन्नरों को मौसी पर इसलिए भी गर्व है, क्योंकि वे देश की पहली किन्नर विधायक बनी थीं। शबनम मौसी मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के सोहागपुर निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 2000 के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक के रूप में चुनी गई थीं। यही कारण है कि जब भी किन्नरों के बारे में कोई बात शबनम मौसी कहती हैं तो उसमें काफी वजन रहता है।
मौत पर मनाई जाती हैं खुशियां : किन्नरों की मौत पर मौसी का खुलासा भी अपने आप में कोई कम वजनदार नहीं है। लिहाजा आप भी अपने दिमाग से ये चीज निकाल दीजिएगा कि किसी किन्नर की मौत के बाद उसे साथी किन्नर जूते-चप्पलों से मारते हुए मय्यत निकालते हैं। असल में वे मौत के बाद अपने आराध्य देव इरावन से प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में वह उसे किन्नर न बनाए। साथी किन्नर तो खुश होते हैं कि चलो, इस नर्कभरी जिंदगी से उसे मुक्ति तो मिल गई...।
 
किन्नरों का अपना महत्व : किन्नर समाज को भले ही हेय दृष्टि से देखा जाता हो लेकिन हकीकत तो यह है कि हर व्यक्ति इनके आशीर्वाद को तरसता है। मान्यता तो यह भी है कि किन्नरों की दुआ से लोगों की झोलियां और तिजोरियां तक भरती हैं। बच्चों का जन्म हो या फिर शादी-ब्याह या अन्य कोई प्रसंग, किन्नर के आने पर वे दुआएं देते हैं और नेग ले जाते हैं। कई लोग तो इनके द्वारा दिए गए बरकती सिक्कों को अपनी तिजोरियों तक में रखते हैं। माना जाता है कि इनकी दुआओं में दम रहता है। यह बात भी बिलकुल सही है किन्नरों के बीच कई बहरुपिए भी घुस आए हैं...। असल में किन्नर समाज बहुत रहस्यमयी है, जिसके बारे में उत्सुकता हमेशा बनी रहेगी।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

महाराष्ट्र चुनाव : NCP शरद की पहली लिस्ट जारी, अजित पवार के खिलाफ बारामती से भतीजे को टिकट

कबाड़ से केंद्र सरकार बनी मालामाल, 12 लाख फाइलों को बेच कमाए 100 करोड़ रुपए

Yuvraj Singh की कैंसर से जुड़ी संस्था के पोस्टर पर क्यों शुरू हुआ बवाल, संतरा कहे जाने पर छिड़ा विवाद

उमर अब्दुल्ला ने PM मोदी और गृहमंत्री शाह से की मुलाकात, जानिए किन मुद्दों पर हुई चर्चा...

सिख दंगों के आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, HC ने कहा बहुत देर हो गई, अब इजाजत नहीं

सभी देखें

नवीनतम

cyclone dana live : CM मोहन माझी बोले, शून्य मानवीय क्षति का मिशन सफल

cyclone dana से जनजीवन प्रभावित, 500 से ज्यादा ट्रेनों और 300 उड़ानों पर पड़ा असर

जर्मनी का आधा मंत्रिमंडल इस समय भारत में

weather update : चक्रवात दाना का कहर, 3 राज्यों में भारी बारिश

NCP अजित पवार गुट में शामिल हुए जिशान सिद्दीकी, बांद्रा पूर्व से लड़ेंगे चुनाव

આગળનો લેખ
Show comments