चुरू (राजस्थान)। पारे के 30 डिग्री पर पहुंचते ही कूलर और 35 डिग्री पर पहुंचते ही एसी चला लेने वाले इस समय में लोग 50 डिग्री वाली गर्मी में दिन कैसे काटते होंगे? यह जानने के लिए आपको राजस्थान के इस शहर चुरू में आना होगा, जहां की गर्म दुपहरियों की चर्चा दुनिया भर कर रही है।
चुरू इलाके में इन्हीं गर्मियों में 3 बार पारा आधिकारिक रूप से 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है। लेकिन दोपहर के कुछ घंटों को छोड़ दें तो यहां जनजीवन सामान्य ही चल रहा है। शादियां हो रही हैं, खेतों में काम हो रहा है और दफ्तर, कार्यालय व दुकानें भी आम दिनों की तरह ही खुलती और बंद होती हैं। हालांकि लोग मानते हैं कि इस बार गर्मी कुछ ज्यादा ही तीखी है।
मौसम विभाग का कहना है कि 1 जून को चुरू में पारा 50.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो लगभग 25 साल का रिकॉर्ड है। इससे पहले 1993 की गर्मियों में चुरू में पारा 49.8 डिग्री सेल्सियस रहा था। चुरू कस्बे के राजवीर सिंह कहते हैं कि इस साल गर्मी कुछ ज्यादा ही तीखी है। वे कहते हैं कि हमें गर्मियों में 47-48 डिग्री और सर्दियों में 0 से कम तापमान की आदत है। लेकिन इस बार तो बला की गर्मी पड़ रही है।
हालांकि फिर भी जीवन चल रहा है, काम हो रहा है और बस समय बदल गया है। अब दिन जल्दी शुरू हो जाता है, क्योंकि 8-9 बजे तक तो सूरज अपना रंग दिखाना शुरू कर देता है और तपन हो जाती है इसलिए किसान खेती-बाड़ी का काम तड़के 4 बजे शुरू कर 8 बजे तक निपटा लेते हैं। फिर तो वे दिन ढले 6-7 बजे ही खेतों का रुख करते हैं।
चुरू की रिकॉर्डतोड़ गर्मी के आगे कूलर-एसी सब मानो फेल हैं। बचाव के रूप में लोग घर-आंगन में बार-बार पानी का छिड़काव करते हैं ताकि तपन कम हो। इसके अलावा अगर मजबूरी में बाहर निकलते हैं तो चेहरा व सिर पूरी तरह साफे-गमछे से ढंककर ही।
गर्मी की हालत यह है कि दोपहर 1 से 4-5 बजे के दौरान तो कस्बे में मानों कर्फ्यू लग जाता है। बहुत ही मजबूरी में लोग घरों से बाहर निकलते हैं और दुकानदार भी घर या दुकान में सुस्ता लेते हैं। चुरू में पड़ने वाली तेज गर्मी की एक वजह शायद इलाके में पेड़ों की कमी भी है। वन अधिकारियों का कहना है कि चुरू के केवल 0.44 प्रतिशत भू-भाग में ही वन हैं। (भाषा)