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चोटी काटने की घटनाएं, कश्मीर में बंद

सुरेश एस डुग्गर
श्रीनगर। कश्मीर अब चोटी कटवा गिरोह की दहशत में जी रहा है। दहशत का आलम यह है कि महिलाओं ने अगर घरों से बाहर निकलना बंद कर दिया है तो इस मामले में अलगाववादी नेताओं के कूद पड़ने के कारण मामले ने और ही रुख अख्तियार कर लिया है। नतीजतन सोमवार को इस मुद्दे पर कश्मीर बंद का आह्वान किया गया था। सारी वादी में बंद के कारण अघोषित कर्फ्यू के हालात बने रहे।
 
कश्मीर घाटी में चोटी काटने की बढ़ती घटनाओं के खिलाफ अलगावादियों द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शनों को रोकने के लिए सोमवार को प्रशासन ने श्रीनगर के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध भी लगा दिया था। इस दौरान हिंसा की अशंका के चलते प्रशासन ने रेल सेवाओं को निलंबित कर दिया था। ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के शहर-ए-खास, पुराने इलाकों सहित घाटी के कई अन्य इलाकों में शनिवार को कर्फ्यू जैसे हालात रहे। चोटी काटने की घटनाओं के विरोध में तथा सुरक्षाबलों की गोलीबारी में तीन युवकों के मारे जाने के विरोध में अलगाववादियों की ओर से आहूत हड़ताल के मद्देनजर विरोध-प्रदर्शनों को रोकने के लिए आज सुबह से ही कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लागू कर दिये गये थे।
 
इस दौरान हड़ताल और प्रतिबंधों की वजह से समूची घाटी में आम जनजीवन अस्त व्यस्त रहा। हिंसा की अशंका के मद्देनजर रेल सेवाएं बाधित रहीं। दक्षिण कश्मीर के कुलगाम, पुलवामा और पम्पोर में भी कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध थे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि श्रीनगर के पुराने इलाके में स्थित एम आर गंजए नौहट्टा, खानयार, रैनावाड़ी और सफाकदल के पांच थाना क्षेत्रों में धारा 144 के तहत प्रतिबंध लागू किए गए थे। सुरक्षाबलों और राज्य पुलिस के जवानों ने सभी सडक़ों को कंटीले तारों से बंद कर दिया था और लोगों को अपने-अपने घरों के भीतर रहने के निर्देश दिये जा रहे थे।
 
चट्टाबल से खानयार की ओर जाने वाले मुख्य नल्लामार मार्ग को भी बंद कर दिया गया और किसी को भी आवागमन की अनुमति नहीं दी गई। एसकेआईएमएस अस्पताल की ओर जाने वाली ईदगाह रोड को खुला रखा गया था लेकिन केवल मरीजों को ले जा रहे वाहनों और एंबुलेंस को पूरी जांच के बाद आगे जाने दिया जा रहा था।
 
नल्लामार मार्ग के दोनों तरफ के निवासियों ने आरोप लगाया था कि इस इलाके में तैनात सुरक्षाबल उन्हें घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। सुरक्षाबलों के एक जवान ने कहा कि हमें किसी को भी घर से बाहर नहीं निकलने देने और पाबंदियों का सख्ती से पालन करवाने के निर्देश मिले हैं। उसके मुख्य द्वार बंद कर दिये गये हैं और जामिया बाजार में सुरक्षाबलों के जवान तैनात हैं।
 
अधिकारियों ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन सेवा मुख्य रूप से सड़कों से नदारद रही जबकि कुछ कैब और निजी वाहन ही सड़कों पर दौड़ते नजर आए। श्रीनगर और घाटी के अन्य प्रमुख शहरों और कस्बों में दुकानें, सार्वजनिक परिवहन और शैक्षणिक संस्थान बंद रहे। हालांकि, जिन स्थानों पर प्रतिबंध लागू नहीं किए गए थे वहां निजी वाहनों की आवाजाही सामान्य रूप से होती रही।
 
पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि पूरी कश्मीर घाटी में स्थिति शांतिपूर्ण रही और कहीं से भी कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं है। बता दें कि पिछले एक महीने के दौरान घाटी के विभिन्न स्थानों में चोटी काटने की 70 से अधिक घटनाएं सामने आई, लेकिन अभी तक इसके गुनहगार का कोई पता नहीं लगा है इसलिए इनके लिए किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। अनंतनाग जिले में शुक्रवार को भीड़ ने एक 70 वर्षीय बुजुर्ग को भूलवश चोटी काटने वाला समझकर उसकी हत्या कर दी थी।

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