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शौचालय कर को लेकर जेपी नड्‍डा पर मुख्‍यमंत्री सुक्खू का पलटवार

JP Nadda

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शिमला , शनिवार, 5 अक्टूबर 2024 (14:27 IST)
Chief Minister Sukhu counterattack on Nadda: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में ‘शौचालय कर’ लगाए जाने से इनकार किया और कहा कि भाजपा के नेता इस मुद्दे का ‘राजनीतिकरण’ कर रहे हैं।
 
बिलासपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा था कि शौचालयों पर कर लगाने वाली सुक्खू सरकार की बुद्धि के साथ ही विवेक भ्रष्ट हो गया है तथा ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। ALSO READ: जेपी नड्‍डा बोले, देश के संसाधनों पर पहला हक गरीबों का
 
क्या मुख्‍यमंत्री सुक्खू ने : यहां जारी एक बयान में सुक्खू ने कहा कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा या तो धर्म का कार्ड खेल रही है या फिर शौचालय कर का मनगढ़ंत मुद्दा उठा रही है। उन्होंने कहा कि किसी को भी केवल राजनीतिक लाभ के लिए मुद्दों का राजनीतिकरण करने का प्रयास नहीं करना चाहिए, खासकर तब जब आरोप वास्तविकता से कोसों दूर हों।
 
सुक्खू ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त पानी समेत कई योजनाओं की घोषणा की और राजनीतिक मापदंडों पर संस्थान खोले। उन्होंने कहा कि इन उपायों के बावजूद राज्य के लोगों ने कांग्रेस पार्टी के पक्ष में मतदान किया। उन्होंने कहा कि पांच सितारा होटलों को भी मुफ्त पानी की पेशकश की गई। ALSO READ: योगी मॉडल को लेकर हिमाचल कांग्रेस में क्लेश, सुक्खू सरकार की सफाई, मंत्री विक्रमादित्य को हाईकमान की फटकार
 
जल के लिए न्यूनतम शुल्क : मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर ध्यान देते हुए वर्तमान सरकार ने जल सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाने के लिए कदम उठाए हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 100 रुपए प्रतिमाह न्यूनतम शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। राज्य जल शक्ति विभाग ने 21 सितंबर को शहरी क्षेत्रों में प्रति ‘सीवरेज सीट’ 25 रुपए कर लगाने के संबंध में अधिसूचना जारी की थी, इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में पानी पर 100 रुपए का कर लगाया गया था।
 
हालांकि, जब अधिसूचना उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को भेजी गई तो इसे वापस ले लिया गया। अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि यह भाजपा सरकार ही थी जिसने 2018 में ‘सीवरेज’ कर लगाया था। सरकार पहले से ही पानी के बिल का 30 प्रतिशत ‘सीवरेज’ शुल्क के रूप में वसूलती है।
 
अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा ने कहा कि यह बात संज्ञान में लाई गई थी कि कुछ होटल और संस्थान पानी तो अपना इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन सीवरेज का इस्तेमाल सरकार का कर रहे हैं। इसलिए उनसे 25 रुपए प्रति सीट शुल्क लेने का निर्णय लिया गया था, लेकिन जब अधिसूचना उपमुख्यमंत्री अग्निहोत्री को पुनरीक्षण के लिए भेजी गई, तो बाद की अधिसूचना में सीवरेज शुल्क वापस ले लिया गया। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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