बिहार में बाढ़ का कहर जारी है। अब तक 153 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1 करोड़ से अधिक की आबादी इस बाढ़ की चपेट में है। बिहार के 17 जिले बाढ़ से प्रभावित बताए जा रहे हैं। सीमांचल क्षेत्रों और नेपाल में लगातार हो रही बारिश के कारण राज्य की सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं। नदियों के जलस्तर में वृद्धि के काराण बाढ़ की स्थिति गंभीर बनती जा रही है।
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने शुक्रवार (18 अगस्त) को बताया कि राज्य के 17 जिलों के 156 प्रखंडों की 1.08 करोड़ से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि बाढ़ की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
राज्य में गुरुवार (17 अगस्त) को बाढ़ से मरने वालों की संख्या 119 से बढ़कर शुक्रवार को 153 तक पहुंच गई। अररिया में सबसे ज्यादा 30 लोगों की मौत हुई है, जबकि किशनगंज में 11, पूर्णिया में नौ, कटिहार में सात, पूर्वी चंपारण में 11, पश्चिमी चंपारण में 23, दरभंगा में चार, मधुबनी में आठ, सीतामढ़ी में 13, शिवहर में तीन, सुपौल में 11, मधेपुरा में नौ, गोपालगंज व सहरसा में चार-चार, मुजफ्फरपुर में एक, खगड़िया में तीन तथा सारण में दो व्यक्ति की मौत हुई है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों से पानी से घिरे 4.64 लाख लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में 1,289 राहत शिविर खोले गए हैं, जिसमें करीब 3.92 लाख लोग शरण लिए हुए हैं। उन्होंने बताया कि 1,765 सामुदायिक रसोई खोली गई है, जिसमें करीब साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोगों को खाना खिलाया जा रहा है।
इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों से बाढ़ से प्रभावित परिवारों को समय पर राहत देने को कहा है। साथ ही कुछ और नए इलाकों में खाने के पैकेट गिराने के आदेश दिए हैं। शुक्रवार को पटना में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ से संबंधित समीक्षा बैठक में नीतीश ने कई और महत्वपूर्ण निर्देश दिए।
समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने शुक्रवार की रात तक किशनगंज से अररिया होते हुए बहादुरगंज जाने वाली सड़क को 'रि-स्टोर' करने का निर्देश पथ निर्माण विभाग को दिया। उन्होंने कहा कि इस सड़क के बनने से बाढ़ राहत व बचाव कार्य युद्धस्तर पर किया जा सकेगा। इस काम के लिए 'बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन' की सहायता लेने को भी कहा है, जिससे क्षतिग्रस्त सड़कों, पुल-पुलियों की मरम्मत में आसानी हो। मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए चलाए जा रहे राहत और बचाव कार्य को और तेज करने का निर्देश दिया।
राज्य की कई प्रमुख नदियों के जलस्तर में कमी आई है, जिससे बाढ़ का पानी कई इलाकों से निकल रहा है, लेकिन अब भी कई स्थानों पर नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता शेषनाथ सिंह ने शुक्रवार को बताया कि वीरपुर बैराज में कोसी नदी का जलस्तर 1.60 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया, जबकि वाल्मीकिनगर बैराज में गंडक का जलस्तर 1.52 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया।
दूसरी ओर, बागमती नदी डूबाधार, सोनाखान और बेनीबाद में, जबकि कमला बलान नदी झंझारपुर में खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं। अधवाड़ा समूह की नदियां भी कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर चलाए जा रहे हैं।
हालांकि उन्होंने कहा कि कई इलाकों को बाढ़ का पानी निकल रहा है, तो कई नए इलाकों में फैल भी रहा है। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों की मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), एसडीआरएफ और सेना के जवानों को लगाया गया है।आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया कि सभी प्रभावित क्षेत्र में आवश्यक दवाएं, ब्लीचिंग पाउडर एवं सर्पदंश से संबंधित दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करा दी गई हैं। (एजेंसी)