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पंजाब के राज्यपाल ने 'लिस्ट ऑफ बिज़नेस' मांगकर की लोकतंत्र की हत्या : AAP

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शनिवार, 24 सितम्बर 2022 (19:10 IST)
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) ने शनिवार को कहा कि पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने विधानसभा सत्र से पहले लिस्ट ऑफ बिज़नेस मांगकर लोकतंत्र की हत्या की है। यह पंजाब की जानता द्वारा चुनी हुई सरकार, विधानसभा और विधानसभा के अध्यक्ष सहित सब के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

आप के वरिष्ठ नेता एवं विधायक दिलीप पांडे ने आज कहा कि पंजाब से डेमोक्रेटिक फैब्रिक को बर्बाद करने की खबर आई है कि राज्यपाल ने पहले सत्र चलाने की अनुमति दी, फिर उसके बाद अनुमति को वापस ले लिया। यह पंजाब की जानता द्वारा चुनी हुई सरकार, विधानसभा और विधानसभा के अध्यक्ष सहित सब के संवैधानिक अधिकारों का हनन है।

विधानसभा में जो सत्र बुलाया जा रहा था। उसमें कौनसे मुद्दे उठने वाले हैं, जिसे लिस्ट ऑफ बिज़नेस कहा जाता है। राज्यपाल ने सत्र से पहले ही तमाम सीमाएं लांघते और लोकतांत्रिक मूल्यों को पीछे छोड़ते हुए लिस्ट ऑफ बिज़नेस मांग लिया।

पांडे ने कहा कि राज्यपाल एक जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के कामकाज में सीधा हस्तक्षेप कैसे कर सकते हैं? जहां जनता द्वारा चुनी हुई सरकार होती हैं, वहां लोकतंत्र की सर्वोच्च मंदिर विधानसभा और उसके अध्यक्ष की सदन सर्वोपरि होती है। ऐसे में वहां के राज्यपाल और उपराज्यपाल की सहमति सत्र को चलाने को लेकर औपचारिकता से बढ़कर कुछ भी नहीं है।

यह संविधान में लिखा हुआ है कि हर परिस्थिति में सिर्फ और सिर्फ मंत्रिमंडल की सलाह और मशवरा से उनको काम करना है। यही उनकी अनिवार्यता और आवश्यकता है। किसी भी परिस्थिति में गवर्नर सुप्रीमो बनकर मंत्रिमंडल के फैसले और विधानसभा की प्रक्रिया को अपने कंट्रोल में लेने की कोशिश नहीं कर सकता है।

देश को 75 साल आजाद हुए हो गए, लेकिन इन 75 सालों में किसी भी राज्य के राज्यपाल ने एडवांस में विधानसभा स्पीकर से लिस्ट ऑफ बिजनेस की डिमांड नहीं की है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने और हनन की किताब में एक नई इबादत और अध्याय लिखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि अब तक ऐसा कहीं नहीं हुआ है लेकिन पंजाब के राज्यपाल इसकी शुरुआत कर रहे हैं। अगर ऐसा हो जाए तो लोकतंत्र और लोकतंत्र की सर्वोच्च मंदिर कहां बचा और जो संविधान में लिखित विधानसभा की शक्तियां है वह कहां बची। संविधान के हिसाब से चुनी हुई सरकार को विधानसभा का सत्र भी नहीं चलाने दिया जाए और काम नहीं करने दिया जाए तो लोकतंत्र कैसे बचेगा।(वार्ता) 

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