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सीएम धामी ने की घोषणा, जनजाति क्षेत्रों में खोले जाएंगे 450 स्कूल

सीएम धामी ने की घोषणा, जनजाति क्षेत्रों में खोले जाएंगे 450 स्कूल

एन. पांडेय

, शुक्रवार, 12 नवंबर 2021 (16:30 IST)
देहरादून। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को जनजाति कार्य मंत्रालय भारत सरकार एवं जनजाति शोध संस्थान एवं संग्रहालय उत्तराखंड द्वारा डॉ. बीआर अम्बेडकर ओएनजीसी स्टेडियम में आयोजित 3 दिवसीय उत्तराखंड जनजाति महोत्सव का शुभारंभ किया। उन्होंने महोत्सव परिसर में प्रदर्शनी स्थल पर जनजाति क्षेत्रों के विभिन्न उत्पादों के स्टॉलों का अवलोकन भी किया। 
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि उत्तराखंड जनजाति महोत्सव के माध्यम से सभी जनजातियों को एक मंच मिला है। इस आयोजन में जनजातियों के लोक जीवन, सांस्कृतिक विरासत, लोक एवं परंपराओं को भी जीवन्तता मिली है।
 
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के साथ ही झारखंड एवं छत्तीसगढ़ का निर्माण पूर्व प्रधानमंत्री स्व अटल बिहारी वाजपेई ने किया था। हमारे ये प्रदेश विकास की दिशा में निरन्तर आगे बढ़े इसकी जिम्मेदारी हमारी है। उन्होंने प्रदेश के विकास के साथ ही जनजाति कल्याण के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सराहना की।
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश में जनजाति समाज को सम्मान देने का कार्य किया है। इसी क्रम में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को गौरव दिवस के रूप में आयोजित किए जाने का निर्णय लिया गया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जनजाति क्षेत्रों के कल्याण एवं शिक्षा आदि व्यवस्थाओं के लिए योजनाएं बनाई जाएगी, जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रस्ताव भी मांगे। उन्होंने कहा कि देश में जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा की प्रभावी व्यवस्था के लिए 450 स्कूल खोले जाएंगे जिसके लिए 30 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है।
 
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास राज्यों के सहयोग से जनजाति समुदाय को देश की मुख्य धारा से जोड़ना है। उन्होंने राज्य के एकलव्य स्कूलों तथा जनजाति शोध संस्थान की व्यवस्थाओं की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि जनजाति क्षेत्रों के विकास से सम्बन्धित मुख्यमंत्री द्वारा जो भी प्रस्ताव भेजे जाएंगे उन पर शीघ्र निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने जनजाति के क्षेत्रों का माइक्रो प्लान बनाने तथा उन्हें आजीविका मिशन कार्यक्रमों से जोड़ने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जहां 5 जनजातियां हैं वहीं झारखंड में 32 जनजाति समुदाय हैं।

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इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से राज्य के सीमांत जनपदों पिथौरागढ़ और चमोली में जनजातीय छात्रों के लिए दो नए एकलव्य आवासीय विद्यालय खोले जाने, विभागीय विद्यालयों मे पढ़ रहे जनजाति के 5 हजार छात्र-छात्राओं को टेबलेट उपलब्ध कराए जाने, राज्य में स्वतन्त्रता संग्राम सेनानीयों के जीवन परिचय पर आधारित संग्रहालय की स्थापना करने का अनुरोध किया।
 
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि दोंनों का संबंध जनजाति संस्कृतियों से रहा है। जहां सूदूर पिथौरागढ़ में भोटिया संस्कृति से उनका लगाव रहा, वहीं कर्मभूमि खटीमा की थारु-बुक्सा जनजाति से भी गहरा रिश्ता रहा है। आज देश दुनियां में ग्लोबल वॉर्मिंग और पर्यावरण संरक्षण को लेकर चिंतन मनन हो रहा है लेकिन हमारी जनजातियां प्रारंभ से ही पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देती रही हैं। हमारी जनजातीय समूहों का शुरुआत से ही जड़ी-बूटियों को लेकर ज्ञान, उनकी विशेष पहचान रही है। रामायण काल में जब भगवान राम अपने चौदह वर्ष के वनवास को काट रहे थे तब ये वनवासी ही थे, जो आगे बढ़कर भगवान श्रीराम की सहायता करने आए थे। उन्ही के सहयोग से भगवान राम ने महाबली रावण की विशाल सेना को परास्त कर लंका पर विजय प्राप्त की थी। महाभारत काल में भी जनजातियों के बारे में विशेष उल्लेख मिलता है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 15 नवंबर को जनजातीय समाज के उत्थान के लिए कार्य करने वाले बिरसा मुंडा जी की जन्म जयंती भी है। उनके द्वारा किए गए कार्यों का ही परिणाम है कि वे झारखंड के जनजातीय समूह में विशेष महत्व रखते है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जनजातियों के लिए कई कल्याणकारी कार्य किए गए हैं। ये प्रधानमंत्री जी की सोच का ही नतीजा है कि उन्होंने समाज के हर वर्ग को मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया है।
 
देश में जनजातियों के लिए कार्य करने वाले दर्जनों लोगों को केंद्र सरकार ने सम्मानित किया है। अभी इसी 9 नंवबर को केंद्र सरकार द्वारा जनजातीय समूह की श्रीमती भूरी बाई जी और तुलसी गौडा जी को पद्म से सम्मानित किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां लगे अलग-अगल स्टॉलों में एक से बढ़कर एक हस्तशिल्प उत्पाद हमारे जनजातीय भाईयों, स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किए गए हैं। जहां एक ओर ये उत्पाद इको फैंडली हैं वहीं इनकी गुणवत्ता भी विश्व स्तरीय है। ये सब प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व का ही कमाल है कि हम 'वोकल फॉर लोकल' अभियान के तहत स्थानीय उत्पादों को आगे बढ़ा रहे हैं। अभी हमारी सरकार ने 'एक जिला दो उत्पाद' योजना की भी शुरुआत की है। इसके तहत हमने हर जिले के दो स्थानीय उत्पादों को सूचीबद्ध किया है।
 
उन्होंने कहा कि देश के सैनिक इतिहास में जनजातीय समूहों के शौर्य और पराक्रम से सभी भली भांति परिचित हैं। देश की सेना में विभिन्न पदों पर जनजातीय समूह के लोगों ने अपनी कार्यकुशलता का अभूतपूर्व परिचय दिया है। वीर केसरी चंद का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केसरी चंद्रजी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में शामिल होकर, भारत की आजादी में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया था। ऐसे ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवन परिचय पर आधारित एक संग्रहालय की स्थापना की उन्होंने जरूरत बताई।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 3 एकलव्य मॉडल स्कूल, 3 आईटीआई 4 जनजाति हॉस्टल और सोलह आश्रम पद्धति विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। जिससे दूरस्थ क्षेत्रों के अनुसूचित जनजाति के बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा जनजातीय क्षेत्रों के विकास हेतु अधिनियम बनाकर समस्त विभागों को अपने वार्षिक बजट का 3 प्रतिशत जनजातीय क्षेत्रों में व्यय करने का प्रावधान भी किया गया है। 
 
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने थारू जनजाति के लोक कलाकारों के साथ होली नृत्य भी किया। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, सांसद नरेश बंसल, विधायक हरबंस कपूर, खजानदास, जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष मूरत राम शर्मा, जनजाति कल्याण के सलाहकार रामकृष्ण रावत, सचिव एल फैनई, निदेशक एसएस टोलिया आदि उपस्थित थे।

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