Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

इन 4 नारियों ने खुद पर लांछन झेलकर श्री राम को बना दिया पूजनीय

अनिरुद्ध जोशी
बुधवार, 29 अप्रैल 2020 (18:29 IST)
अपवाद को छोड़ दें तो प्रत्येक सफल पुरुष के पीछे नारी का योगदान और बलिदान छिपा होता है। आओ जानते हैं कि श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम बनाने में किन 4 नारियों का खास योगदान रहा है। लेकिन कहते हैं कि यह तो सभी प्रभु श्रीराम की लीला ही थी। होई है सोई जो राम रचि राखा।
 
 
1. मंथरा : महाराजा दशरथ ने जब चैत्र मास में अपने ज्येष्ठ पुत्र राम के राज्याभिषेक की बात की तो देवप्रेरित कुबड़ी मन्थरा ने आकर कैकयी को यह समाचार सुनाया। यह सुनकर कैकयी आनंद में डूब गयीं और इस समाचार के एवज में मंथरा को एक गहना भेंट किया। मंथरा ने वह गहना फेंककर कैकयी को बहुत कुछ उल्टा सीधा समझाया। लेकिन कैकयी मंथरा की बात नहीं मानकर कहती है कि यह तो रघुकुल की रीत है कि ज्येष्ठ पुत्र ही राज्य संभालता है और मैं कैसे अपने पुत्र के बारे में सोचूं? राम तो सभी के प्रिय हैं। तब मंथरा के बहकाने पर कैकयी को अपने दो वरदानों की याद आई और कैकयी के मन में कपट समा गया। मंथरा तो कैकयी की दासी थी। लोमश ऋषि के अनुसार मंथरा पूर्वजन्म में प्रह्लाद के पुत्र विरोचन की कन्या थी। 

 
2. कैकयी : कैकय नरेश अश्वपति सम्राट की पुत्री कैकयी राजा दशरथ की तीसरे नंबर की पत्नी थीं। बहुत ही सुंदर होने के साथ ही वीरांगना भी थी। संभवत: इसीलिए वह राजा दशरथ को प्रिय थी। एक बार राजा दशरथ ने देवासुर संग्राम में इंद्र के कहने पर भाग लिया था। इस युद्ध में उनकी पत्नी कैकयी ने उनका साथ दिया था। युद्ध में दशरथ अचेत हो गए थे। राजा के अचेत होने पर कैकेयी उन्हें रणक्षेत्र से बाहर ले आयी थी, अत: प्रसन्न होकर दशरथ ने दो वरदान देने का वादा किया था। तब कैकेयी ने कहा था कि वक्त आने पर मांगूगी। बाद में मंथरा के कान भरने पर कैकयी ने राम का वनवास और भरत के लिए राज्य मांग लिया था।

 
3. शूर्पणखा : शूर्पणखा का वन में आकर प्रभु श्रीराम से विवाह का निवेदन करना और लक्ष्मण द्वारा उनकी नाक काटना राम कथा का एक अहम मोड़ था। जब सूर्पणखा की लक्ष्मणजी नाक-कान काट दिए तो शूर्पणखा के ज्ञान-चक्षु खुल गए और उसे भान हो गया कि वह कौन है। तब उसने प्रभु के कार्य को पूरा करने के लिए उनकी सहायिका बनकर प्रभु के हाथ से खर व दूषण, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद आदि निशाचरों को मरवा दिया। कहते हैं कि पूर्व जन्म में शूर्पणखा इन्द्रलोक की 'नयनतारा' नामक अप्सरा थीं।

 
4. सीता : अंत में माता सीता का नाम भी लेना होगा क्योंकि वाल्मीकि रामायण अनुसार राम जब वनवास खत्म करके अयोध्या लौटकर आए तो राज्याभिषेक के बाद नगर के वासियों ने माता सीता पर लांछन लगाया कि वह तो रावण के यहां रहकर आई है तो कैसे वह पवित्र हो सकती है? यही कारण था कि माता सीता को राजमहल छोड़कर फिर से वन में जाना पड़ा।

 
एक जगह राजसभा में वाल्मीकि बोले, 'श्रीराम! मैं तुम्हें विश्‍वास दिलाता हूं कि सीता पवित्र और सती है। कुश और लव आपके ही पुत्र हैं। मैं कभी मिथ्याभाषण नहीं करता। यदि मेरा कथन मिथ्या हो तो मेरी सम्पूर्ण तपस्या निष्फल हो जाय। मेरी इस साक्षी के बाद सीता स्वयं शपथपूर्वक आपको अपनी निर्दोषिता का आश्‍वासन देंगीं।'

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

આગળનો લેખ
Show comments