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रामायण में है 11 गीता, क्या आप जानते हैं?

अनिरुद्ध जोशी
जहां भी धर्म और ज्ञान की संवादात्मक बातें होती है उसे हम गीता कह सकते हैं। जैसे महाभारत में धृतराष्ट्र और विदुर का संवाद, अर्जुन और कृष्ण का संवाद, भीष्म और युधिष्ठिर का संवाद, यक्ष और युधिष्ठिर का संवाद आदि। इसी तरह रामायण में भी मुख्यत: 11 ऐसे संवाद हुए हैं जिनमें ज्ञान और नीति की बातें छुपी हुई है।
 
 
1.शिव और पार्वती संवाद : रामायण में सबसे पहले शिव और पार्वतीजी का संवाद आता है जिसमें भगवान शंकर माता पार्वती को भगान श्रीराम के गुण और महिमा के बारे में बताने के साथ ही धर्म और नीति की बातें भी करते हैं। यह प्रसंग बालकाण्ड में मिलेगा।
 
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2.ऋषि विश्वामित्र और राजा दशरथ संवाद : महर्षि विश्वामित्र एक महान तपस्वी थे। वे जहां तपस्या करते थे वहां पर राक्षसों ने उत्पात मचा रखा था। विश्‍वामित्र दशरथ के पास जाकर उनसे उनके पुत्र राम को मांग लेते हैं। रामायण में विश्वामित्र ने राम को लौटा देने तक बहुत कुछ कहा। उनका कहा हुआ ही धर्म है।

 
3.भरत और कैकेय का संवाद : इसमें भरत अपनी माता कैकेय से नीति और अनीति की बात करते हैं। भरत को यह अच्छा नहीं लग रहा था कि कैसे प्रभु श्रीराम के होते हुए में अयोध्या का राजा बन जाऊं और वह भी तब जबकि उन्हें वनवास दे दिया गया है। भरत के लिए यह बहुत ही असहनीय स्थिति थी। इसीलिए बाद में राम और भरत संवाद भी होता है।

 
4.लक्ष्मण और परशुराम संवाद : जब प्रभु श्रीराम भगवान शिव का धनुष तोड़ देते हैं तो इसकी सूचना परशुरामजी को मिलती है और वे क्रोधित होते हुए जनक की सभा में आ धमकते हैं। वहां जब वे राम को भला बुरा कहने लगते हैं तब लक्ष्मण से रहा नहीं जाता और फिर वे पराशुराम का मजाक उड़ाते हुए उन्हें कटु वचनों में शिक्षा देने लगते हैं। इस संवाद में शील, क्रोध, संयम और वीरता का बखान होता है।

 
5. अंगद और बालि संवाद : प्रभु श्रीराम ने अंगद के पिता वानरराज बालि का वध कर दिया था तो बालि ने मरते वक्त अपने पुत्र को पास बुलाकर उसे ज्ञान की बातें बताई थी। बालि बहुत ही ज्ञानी, शक्तिशाली और सूर्य विद्या में पारंगत व्यक्ति था। उसकी बातें महत्वपूर्ण थी। हर किसी को बालि की शिक्षा ध्यान में रखना चाहिए।

 
6.जामवंत और हनुमानजी का संवाद : जामवंत जी का हनुमानजी के साथ लंबा संवाद होता है। इस संवाद में वे हनुमानजी के गुणों का बखान करते हैं और हनुमानजी को अपनी शक्तियों का आभास होने लगता है।

 
7.मंदोदरी और रावण संवाद : लंका दहन के बाद मंदोदरी जब जनता से इसकी भयावता सुनती है कि जिसका दूत इतना बलशाली है तो जब खुद नगर में आएंगे तो क्या होगा? यह सुनकर मंदोदरी अपने पति रावण को समझाती है और कहती है कि यह अनीति है। वह रावण की नीति की हर बात बताती है लेकिन रावण एक भी नहीं सुनता है। मंदोदरी रावण को हर मौके पर समझाती है। 

 
8.हनुमान और रावण संवाद : मेघनाद जब हनुमानजी को नागपाश में बांधकर रावण की सभा में लाता है तब हनुमान और रावण के बीच संवाद होता है। हनुमानजी वहां रावण को सीख देते हैं लेकिन उनकी सीख लेने के बजाय रावण उनकी पूंछ में आग लगवा देता है। 

 
9.रावण और विभीषण का संवाद : लंका जलने के बाद विभीषण अपने भाई रावण को शिक्षा और नीति की बातें बताकर राम के गुणों का बखान करते हैं। रावण अपने भाई विभीषण के ऐसे वचन सुकर क्रोधित हो जाता है और वि‍भीषण को देश निकाला दे देता है।

 
10.अंगद और रावण का संवाद : भगवान राम हनुमानजी के बाद अंगद को शांतिदूत बनाकर श्रीलंका में रावण के यहां भेजते हैं। रावण की सभा में रावण को सीख देते हुए अंगद बताते हैं कि कौन-से ऐसे 14 दुर्गुण है जिसके होने से मनुष्य मृतक के समान माना जाता है। अंगद और रावण का संवाद संवाद बहुत ही महत्वपूर्ण है।

 
11.रावण और लक्ष्मण संवाद : रावण जब युद्ध भूमि पर, मृत्युशैया पर पड़ा होता है तब भगवान राम, लक्ष्मण को समस्त वेदों के ज्ञाता, महापंडित रावण से राजनीति और शक्ति का ज्ञान प्राप्त करने को कहते हैं। लक्ष्मण उनकी आज्ञा मानकर रावण के पास जाते हैं। इस प्रसंग और पढ़ना और दोनों के संवाद को समझना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

 
इसी तरह के और भी संवाद रामायण में मिलते हैं जैसे कि रावण सीता के संवाद, राम और भरत के संवाद, वाल्मिकी और दशरथ के संवाद आदि। लेकिन जिन संवादों में ज्यादा शिक्षा और नीति की बातें हैं उनमें रावण और लक्ष्मण संवाद, अंगद और रावण संवाद, रावण और विभीषण संवाद, अंगद और बालि संवाद और मंदोदरी और रावण संवाद ही महत्वपूर्ण है।
 

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