Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

लॉकडाउन में कैसे मनाएं राम नवमी

लॉकडाउन में कैसे मनाएं राम नवमी

अनिरुद्ध जोशी

, बुधवार, 1 अप्रैल 2020 (15:35 IST)
भारत में कोरोना वायरस की महामारी के चलते कई जगहों पर कर्फ्यू है तो संपूर्ण भारत में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। सभी मंदिरों को बंद कर दिया गया है। ऐसे में इस बार का राम नवमी उत्सव मंदिर में मनाना मुश्किल है। भगवान राम का जन्मोत्सव चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को मंदिरों में 12 बजे मनाए जाने का प्रचलन है। इस बार राम नवमी 2 अप्रैल 2020 को है। आओ जानते हैं कि कैसे राम नवमी घर में ही मनाएं।
 
व्रत : राम नवमी के दिन नवरात्रि की नवमी तिथि भी रहती है। इस दिन जब तक घर में दुर्गा और भगवान राम की पूजा नहीं हो जाती तब तक भोजन नहीं किया जाता है। 
 
पूजन मुहूर्त : रामजी के पूजन का मुहूर्त सुबह 11:10 से दोपहर 01:38 तक है।
 
पूजा : भगवान राम के एक चित्र या मूर्ति को लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें। फिर उनके मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। रामनवमी पूजन को शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो भगवान राम का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान राम का भजन व पूजन करते हैं। कई जगहों भर भगवान श्री राम की प्रतिमा को झूले में भी झुलाया जाता है।
 
नैवेद्य : पूजा करने के बाद केसर भात, खीर, धनिए का प्रसाद या नैवेद्य चढ़ाएं। इसके अलावा उनको कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन का भोग भी प्रिय है। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
 
राम रक्षा स्त्रोत : इस दिन किया गया रामनाम मंत्र जाप भव सागर से मुक्ति दिलाता है। आप चाहें तो राम रक्षा स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
 
राम नवमी कथा
राजा दशरथ ने तीन विवाह किए थे, लेकिन किसी भी रानी से उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। फिर ऋषि-मुनियों से इस बारे में विमर्श किया तो उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने की सलाह दी।
 
पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने के पश्चात यज्ञ से जो खीर प्राप्त हुई उसे राजा दशरथ ने अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को दिया। कौशल्या देवी ने उसमें से आधा हिस्सा केकैयी को दिया। इसके पश्चात कौशल्या और केकैयी ने अपने-अपने हिस्से से आधा हिस्सा तीसरी पत्नी सुमित्रा को दे दिया।
 
और इस यज्ञ के फल से चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या की कोख से भगवान श्री राम जन्म का हुआ। केकैयी ने भरत को जन्म दिया जबकि सुमित्रा ने लक्ष्मण व शत्रुघ्न को जन्म दिया।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

भगवान राम के काल के वे 5 लोग जो नहीं थे मनुष्य