Raksha bandhan 2023 : रक्षा बंधन के त्योहार को लेकर कई तरह की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। वामन बाली कथा, इंद्र शची कथा, श्री कृष्ण द्रौपदी कथा, यम यमुना की कथा आदि कई कथाओं में से एक कथा सबसे पुरानी है और वो है इन्द्र शची की कथा। हालांकि यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि राखी का पर्व किस तरह परंपरा में आया।
कई लोगों के मन में यह सवाल होगा कि सबसे पहले राखी किसने किसको बांधी थीं? मतलब यह कि बहन ने भाई को बांधी थी या कि पत्नी ने पति को? बहन ने बहन को या कि भाई ने भाई को? इन सवालों का उत्तर शायद ही आपको मिले, लेकिन एक कथा के अनुसार पत्नि ने अपने पति को बांधा था रक्षा सूत्र।
देवी शची ने बांधी थी देवराज इंद्र को राखी:
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भविष्य पुराण में कहीं पर लिखा है कि देव और असुरों में जब युद्ध शुरू हुआ, तब असुर या दैत्य देवों पर भारी पड़ने लगे।
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ऐसे में देवताओं को हारता देख देवेंद्र इन्द्र घबराकर ऋषि बृहस्पति के पास गए।
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तब बृहस्पति के सुझाव पर इन्द्र की पत्नी इंद्राणी (शची) ने रेशम का एक धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बांध दिया।
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संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। जिसके फलस्वरूप इंद्र विजयी हुए।
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कहते हैं कि तब से ही पत्नियां अपने पति की कलाई पर युद्ध में उनकी जीत के लिए राखी बांधने लगी।