Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

वसुंधरा राजे : ‘महारानी’ मुख्यमंत्री कांग्रेस के हाथों पराजित

वसुंधरा राजे : ‘महारानी’ मुख्यमंत्री कांग्रेस के हाथों पराजित
, मंगलवार, 11 दिसंबर 2018 (20:26 IST)
जयपुर-नई दिल्ली। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने क्षेत्र झालरापाटन से भले ही जीत गई हों लेकिन उनकी पार्टी राज्य की सत्ता में लौटने में नाकाम रही है।
 
 
चुनावों के नतीजे आने और भाजपा की हार स्पष्ट दिखने के बीच वसुंधरा जयपुर में भाजपा मुख्यालय गईं। लेकिन इस दौरान उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनका दूसरा कार्यकाल था।
 
राजस्थान में पिछले कुछ विधानसभा चुनावों के नतीजे दिखाते हैं कि मतदाता किसी एक पार्टी को लगातार दो बार सत्ता में आने का मौका नहीं देते और कांग्रेस तथा भाजपा को वैकल्पिक रूप से चुनते रहे हैं।
 
2003 से 2008 और 2013 से 2018 तक दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे का जन्म आठ मार्च 1953 को ग्वालियर के अंतिम महाराजा जिवाजी राव सिंधिया और विजयराजे सिंधिया के यहां हुआ था। विजयराजे सिंधिया भाजपा की प्रमुख नेता थीं। 2008 से 2013 के बीच वसुंधरा विपक्ष की नेता रहीं।
 
राजस्थान के पूर्वी हिस्से के धौलपुर राजघराने की बहू बनने के बाद उनका राजस्थान से गहरा नाता शुरू हुआ। 
हिंदी और अंग्रेजी दोनों में समान रूप से दक्ष 65 वर्षीय वसुंधरा उन नेताओं में हैं जो भीड़ जुटा सकती हैं। वह विभिन्न मुद्दों पर अपनी अलग राय भी रखती रही हैं।
 
पिछले हफ्ते ही उन्होंने पूर्व जदयू नेता शरद यादव पर निशाना साधा था। यादव ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन वसुंधरा के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। वसुंधरा ने कहा था, ‘मैं अपमानित महसूस कर रही हूं। यह महिलाओं का अपमान है।'
 
उन्होंने कहा कि वह बिल्कुल चकित रह गयी थीं और ऐसे अनुभवी नेता से इस प्रकार की टिप्पणी की उम्मीद नहीं थी। संभवत: यह तथ्य है कि अपनी स्पष्टवादिता से उन्हें अपने राजनीतिक सफर में कई चुनौतियों का सामना करने में मदद मिली।
 
पांच बार संसद सदस्य रहीं वसुंधरा की कार्यशैली को लेकर भाजपा के भीतर और बाहर भी सवाल उठते रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवारी ने खुलेआम उनकी आलोचना की थी और आलाकमान से उनकी शिकायत कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि उन्हें ही इस साल जून में पार्टी से अलग होना पड़ा। 
 
ऐसी अफवाहें थीं कि उनका भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ मतभेद है लेकिन इन अफवाहों के बीच ही वसुंधरा ने राज्य में भाजपा के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया और गौरव यात्रा की। कांग्रेस ने इसे 'विदाई यात्रा' करार दिया था। लेकिन वह अविचलित थीं।
 
आम लोगों की मदद से गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी सरकार की पहल ‘जल स्वावलंबन अभियान’ खासी चर्चित रही। वसुंधरा के जन नेता होने के बाद भी कइयों की यह शिकायत रहती है कि उनका आम लोगों से संपर्क नहीं रहता।
 
वसुंधरा ने अपनी स्कूली शिक्षा तमिलनाडु के कोडइकनाल से पूरी की और मुंबई विश्वविद्यालय के सोफिया कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक तक की पढ़ाई की।
 
उन्होंने 1984 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी की सदस्य नियुक्त होने के बाद राजनीति में प्रवेश किया। एक साल बाद 1985 में उन्हें राजस्थान भाजपा युवा मोर्चे की उपाध्यक्ष बनाया गया। उसी साल वह आठवीं राजस्थान विधानसभा के लिए चुनी गईं।
 
पांच बार लोकसभा सदस्य रह चुकीं वसुंधरा लघु उद्योग, कृषि और ग्रामीण उद्योग, कार्मिक और प्रशिक्षण, पेंशन, परमाणु उर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग का कार्यभार भी संभाला है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

परिणामों पर अरविंद केजरीवाल का कटाक्ष, मोदी सरकार की उल्टी गिनती शुरू