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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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रेचक करने से टॉक्सिन होंगे बाहर और बॉडी रहेगी फिट

रेचक करने से टॉक्सिन होंगे बाहर और बॉडी रहेगी फिट

अनिरुद्ध जोशी

योग के आठ अंग है, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधी। आसन करने के लिए आसनों को सीखना होगा। प्राणायाम करना बहुत ही सरल होता है। प्राणायाम में रेचक पूरक और कुम्भक यह तीन तरह की प्रक्रिया होती है। मात्र इन तीन तरह की प्रक्रिया से ही उत्तम सेहत पाई जा सकती है। यहां मात्र रेचक की एक विधि जानेंगे जिससे टॉक्सिन होंगे बाहर और बॉडी रहेगी फिट।
 
 
रेचक करने के पूर्व ये सावधानी जरूरी : अनावश्यक चिंता-बहस, नशा, स्वाद की लालसा, असंयमित भोजन, गुटका, पाऊच, तम्बाकू और सिगरेट के अलावा चाय, कॉफी, दूध, कोल्ड्रिंक, मैदा, बैंगन, समोसे, कचोरी, पोहे, पिज्जा, बर्गर आदि को छोड़ दें। ये सभी शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ है।
 
अब करें रेचक क्रिया : 
1. सिर्फ 10 मिनट के लिए श्वास लेने और छोड़ने का एनर्जी वॉल्यूम खड़ा कर दें। ऐसा वॉल्यूम जो आपकी बॉडी और माइंड को झकझोर दे। 
 
2. फिर चीखें, चिल्लाएं, नाचें, गाएं, रोएं, कूदें और हंसें। यह रेचक प्रक्रिया है। इसे करने के बाद 10 मिनट का ध्यान करें।
 
फायदे : इससे सारा स्ट्रेस बाहर आ जाएगा। अनावश्यक चर्बी घटकर बॉडी फिट रहती है और भीतर जो भी दूषित वायु तथा विकार है, उसके बाहर निकलने से चेहरे और शरीर की चमक बढ़ जाती है। इस क्रिया के अन्य कई लाभ हैं। यह व्यक्ति को निरोगी बनाती है।
 
सावधानी : आपको फेंफड़ों की समस्या है। जैसे अस्थमा या दमा आदि है तो यह ना करें। इसके अलावा सिर संबंधी कोई समस्या है तो भी यह ना करें। कोई गंभीर रोग हो तो भी यह क्रिया ना करें। शुरुआत में  यह क्रिया 2 मिनट से प्रारंभ करें और फिर 10 मिनट तक करें।

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योगा पूरक और रेचक क्रिया बहुत महत्वपूर्ण है। वैसे तो हम हर पल पूरक और रेचक क्रिया करते ही रहते हैं। पूरक का अर्थ है श्वास लेना और रेचक का अर्थ है श्वास छोड़ना। हम जन्म से लेकर मृत्यु तक पूरक और रेचक क्रिया करते रहते हैं। श्वास लेने और छोड़ने के बीच हम कुछ क्षण के लिए रुकते हैं। इस रुकने की क्रिया को ही कुंभक कहते हैं। जब श्वास लेकर हम अंदर रुकते हैं तो उसे आभ्यांतर कुंभक कहते हैं और जब बाहर रुकते हैं तो उसे बाह्य कुंभक कहते हैं।
 
अब आप जानकर श्वास छोड़े और लें। छोड़ते वक्त तब तक श्वास छोड़ते रहें जब तक छोड़ सकते हैं और फिर तब तक श्वास दोबारा न लें जब तक उसे रोकना मुश्किल होने लगे। फिर श्वास तब तक लेते रहें जब तक पूर्ण न हो जाएं और फिर श्वास को सुविधानुसार अंदर ही रोककर रखें। इस तरह पूरक, रेचक और कुंभक का अभ्यास करें।
 
अब रेचक पर ध्यान दें : पूरक, रेचक और कुंभक के अच्छे से अभ्यास के बाद सिर्फ रेचक क्रिया ही करें। श्वास छोड़ने की प्रक्रिया को ही रेचक कहते हैं और जब इसे थोड़ी ही तेजी से करते हैं तो इसे कपालभाती प्राणायाम कहते हैं।
 
इससे आपका तन, मन और प्राण रिफ्रेश हो जाएगा। यह शरीर को स्वस्थ रखने में सक्षम है। हालांकि इसका अभ्यास किसी योग चिकित्सक से पूछकर ही करना चाहिए।

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