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वाराणसी में नरेन्द्र मोदी के सामने फिर अजय राय, कम हो सकता है जीत का अंतर

वाराणसी में नरेन्द्र मोदी के सामने फिर अजय राय, कम हो सकता है जीत का अंतर
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वृजेन्द्रसिंह झाला

, मंगलवार, 21 मई 2024 (17:58 IST)
Varanasi Lok Sabha seat: बाबा विश्वनाथ की नगरी और उत्तर प्रदेश की बहु‍चर्चित लोकसभा सीट वाराणसी (काशी या बनारस भी) सीट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। वे 2014 और 2019 में इस सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस ने भी अजय राय को ही एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया है। पीएम मोदी ने 13 मई को काशी में बड़ा रोड शो भी किया था। उनके नामांकन में कई मुख्‍यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री और गठबंधन के सहयोगी नेता पहुंचे थे। मोदी की जीत एक बार फिर तय मानी जा रही है। हालांकि जीत का अंतर पिछली बार से कम हो सकता है। 
 
इस बार कांग्रेस-सपा साथ : कांग्रेस और सपा के बीच समझौते के तहत इस बार इस सीट पर समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार नहीं रहेगा। पिछली बार यानी 2019 में सपा ने शालिनी यादव को मोदी के सामने उतारा था। यह चुनाव मोदी ने 4 लाख 79 हजार वोटों से जीता था। शालिनी को 1 लाख 95 हजार वोट मिले थे। कांग्रेस के अजय राय 1 लाख 52 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। बसपा ने यहां से अतहर जमाल लारी को उम्मीदवार बनाया है। अखिल भारत हिन्दू महासभा ने भी यहां से किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी को उतारने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में उन्होंने नाम वापस ले लिया। हालांकि इस बार मोदी की जीत का अंतर कम हो सकता है। 
 
अजय तीन बार तीसरे स्थान पर : कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 2009, 2014 और 2019 में तीसरे स्थान पर रहे थे। 2009 में वे समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन तब भी तीसरे स्थान पर ही रहे थे। 2014 और 2019 में भी अजय राय तीसरे स्थान पर रहे थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ही एकमात्र ऐसे उम्मीदवार रहे, जो 2 लाख से ज्यादा वोट हासिल कर पाए थे। अन्यथा इस सीट पर हारने वाले सभी उम्मीदवार 2 लाख के नीचे ही रहे। इस चुनाव में मोदी 3 लाख 71 हजार से भी ज्यादा वोटों से जीते थे। 2019 में पीएम मोदी की जीत का अंतर और बढ़ गया। वे 2019 में 4 लाख 79 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते थे। 
 
कौन हैं अजय राय : अजय राय की गिनती यूपी का बाहुबली नेता के रूप में होती है। उनकी राजनीति की शुरुआत भाजपा की विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हुई। वे 1996 से 2007 के बीच भाजपा के टिकट पर लगातार तीन बार कोलासला निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। यह वाराणसी जिले में आती है। लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद राय ने भाजपा छोड़ दी। इसके बाद वह सपा में शामिल हो गए और 2009 के लोकसभा चुनाव में मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ चुनाव हार गए। 
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2009 में उन्होंने कोलासला निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा उपचुनाव लड़ा और जीते भी। राय 2012 में भाजपा में शामिल हो गए। नए परिसीमन के बाद कोलासला निर्वाचन क्षेत्र का अस्तित्व समाप्त हो गया। 2012 के विधानसभा चुनाव में नवनिर्मित पिंडरा से उन्होंने जीत हासिल की। इस क्षेत्र में पूर्व कोलासला निर्वाचन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा शामिल है।
 
क्या है वाराणसी सीट का इतिहास : यह संसदीय क्षेत्र 5 विधानसभा सीट- रोहनिया, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण, वाराणसी कैंट और सेवापुरी में बंटा हुआ। रोहनिया में भाजपा के सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) का कब्जा है, जबकि शेष सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार विजयी हुई थे। वाराणसी लोकसभा से 7 बार कांग्रेस और इतनी ही बार भाजपा ने जीत हासिल की है। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में चंद्रशेखर (पूर्व प्रधानमंत्री) ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के रघुनाथ सिंह इस सीट पर 1952 से 1967 सांसद रहे। 1991 में भाजपा ने यहां पहली बार (श्रीश चंद्र दीक्षित) ने चुनाव जीता। 2009 में भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी भी इस सीट से सांसद रहे। 2014 से यहां पीएम नरेन्द्र मोदी सांसद हैं। 
 

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