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वरुण गांधी : प्रोफाइल

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भाजपा के युवा नेता वरुण गांधी ने राजनीति में अपनी पहचान स्‍वयं बनाई। वे नहीं चाहते थे कि लोग उन्‍हें विरासत में दी हुई पारिवारिक राजनीतिक दल का नेता कहें। वरुण गांधी भाजपा के इतिहास में सबसे कम उम्र के राष्ट्रीय महासचिव हैं। 
प्रारंभिक जीवन : वरुण गांधी का जन्‍म 13 मार्च 1980 को दिल्‍ली में हुआ। उन्होंने अपनी शिक्षा मॉडर्न स्कूल, नई दिल्ली से प्रारंभ की। चौथी कक्षा के बाद उनकी पढ़ाई ऋषि वैली स्कूल, आंध्रप्रदेश में हुई। इसके बाद यूके सेकंडरी परीक्षा बोर्ड जीसीएसई और ए स्तर की परीक्षा के लिए द ब्रिटिश स्कूल, नई दिल्ली चले गए। वे ओरिएंटल और अफ्रीकन स्टडीज लंदन से आठ वैकल्पिक विषय को पूरा कर चुके हैं। 
 
पारिवारिक पृष्‍ठभूमि : वरुण गांधी के पिता का नाम संजय गांधी और माता का नाम मेनका गांधी है। वरुण की पत्‍नी का नाम यामिनी है। वरुण गांधी जब तीन माह के थे, उसी दौरान उनके पिता की एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई। 
 
राजनीतिक जीवन : 19 वर्ष की आयु में वरुण गांधी पहली बार अपनी मां के संसदीय क्षेत्र पीलीभीत में चुनाव के दौरान दिखे। वे लगातार मां मेनका के साथ चुनावी सभा व प्रचार में भाग लेते रहे और लोगों से अपनी जान-पहचान बढ़ाने लगे। कई तरह के सांस्‍कृतिक व साहित्यिक पुस्‍तकें पढ़ने वाले वरुण गांधी ने 20 वर्ष की आयु में ही अपनी पुस्‍तक 'द ऑथनेस ऑफ सेल्‍फ' लिखी, जिसका लोकार्पण देश के कई प्रमुख नेताओं ने किया। 
 
वे कविताओं के साथ-साथ राष्‍ट्रीय सुरक्षा और बाहरी संबंधों पर भी लेख लिखते रहे। वे अपनी पहचान खुद बनाना चाहते थे। वे नहीं चाहते थे कि लोग उन्‍हें विरासत में दी हुई पारिवारिक राजनीतिक दल का नेता कहें। 
 
2004 के चुनाव में वरुण को भाजपा द्वारा एक मुख्य प्रचारक के तौर पर उतारा गया था, लेकिन उन्होंने अपने परिवार के चचेरे भाई-बहन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तथा चाची सोनिया गांधी के खिलाफ कुछ कहने से इनकार कर दिया। नवंबर 2004 में उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में शामिल किया गया।
 
मेनका गांधी ने 2009 के चुनाव में अपनी सीट अपने बेटे वरुण के लिए छोड़ दी, जबकि वे पड़ोसी क्षेत्र ओंला से खड़ी हईं। 15वीं लोकसभा में भाजपा ने वरुण गांधी को 2009 के आम चुनाव में पीलीभीत लोकसभा सीट से उतारा। 
 
अगस्त 2011 में हुए जनलोकपाल विधेयक के पक्ष में वे दृढ़ता से खड़े रहे। इतना ही नहीं अनशन के लिए सरकार द्वारा अन्ना हजारे को अनुमति न देने पर वरुण ने उन्हें अपने सरकारी बंगले से अनशन करने की पेशकश की। 
 
जब हजारे को जेल में बंद किया गया था, तब वरुण ने संसद में जनलोकपाल विधेयक की पेशकश की थी। भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना हजारे के इस आंदोलन का समर्थन करने वे खुले तौर पर एक आम आदमी के रूप में रामलीला मैदान पहुंचे थे।
 
मार्च 2013 में राजनाथ सिंह ने वरुण गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया और वे पार्टी के सबसे कम उम्र के महासचिव बने। मई 2013 में उन्हें पश्चिम बंगाल में भाजपा के मामलों के लिए प्रभारी बनाया गया।
 
अगस्त 2013 में एक अखबार में प्रकाशित खबर के मुताबिक, वरुण गांधी देश के पहले ऐसे सांसद हैं, जिन्होंने संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीएलएडी) के लिए निर्धारित समय से पहले ही शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी गतिविधियों के विकास कार्यों में शत-प्रतिशत राशि खर्च की।

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