ज्योतिरादित्य सिंधिया को 7 जुलाई को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। 18 साल कांग्रेस में रहने के बाद पूर्व केन्द्रीय मंत्री और दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार यानी 11 मार्च, 2020 को भाजपा में शामिल हुए थे।
ज्योतिरादित्य को राजनीति विरासत में मिली। उनकी दादी विजयराजे सिंधिया की गिनती जहां भाजपा के शीर्ष नेताओं में होती थी, वहीं पिता माधवराव कांग्रेस में अग्रिम पंक्ति के नेता थे।
30 सितंबर 2001 को पिता माधवराव सिंधिया की हेलीकॉप्टर हादसे में हुई मौत के बाद ज्योतिरादित्य कांग्रेस की राजनीति से जुड़े और 2002 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीते। स्वयं माधवराव सिंधिया 9 बार सांसद रहे थे।
1 जनवरी 1971 को सिंधिया राजघराने में पैदा हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक रहे हैं। अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई से प्राप्त कर ज्योतिरादित्य ने अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से प्रबंधन में डिग्री हासिल की।
2002 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पहली बार गुना से सांसद चुना गया। 2004 में 14वीं लोकसभा में उन्हें दोबारा चुना गया। 6 अप्रैल 2008 को उन्हें संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के राज्यमंत्री का पद प्राप्त हुआ। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी वह विजयी रहे और उन्हें वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री का पद प्राप्त हुआ।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी, लेकिन ज्योतिरादित्य अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे थे, लेकिन 2019 की मोदी लहर में वे अपनी परंपरागत सीट नहीं बचा पाए और किसी समय अपने सहयोगी रहे केपी यादव से ही चुनाव हार गए। सिंधिया देश के धनाढ्य व्यक्तियों में से एक हैं।