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क्या NDA हासिल कर पाएगा 400 सीटों का लक्ष्य, बता रही हैं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन

लोगों में बढ़ रही है राष्ट्र के प्रति जागरूकता : महाजन

वृजेन्द्रसिंह झाला
Sumitra Mahajan on Lok Sabha Elections 2024: भाजपा के 370 और एनडीए के 400 लोकसभा सीटें जीतने के लक्ष्य पर इंदौर लोकसभा सीट से 8 बार सांसद रहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि लक्ष्य हमेशा बड़ा ही होना चाहिए। यदि हम बड़ा टारगेट सेट ही नहीं करेंगे तो वहां तक पहुंचेंगे कैसे। भाजपा ने अच्छे काम किए हैं, हमें क्यों छोटा लक्ष्य रखना चाहिए। 
 
भाजपा के प्रति अपेक्षा बढ़ी : ताई के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन ने वेबदुनिया से बातचीत करते हुए कहा कि भाजपा के प्रति लोगों की अपेक्षा बढ़ रही है और हम काम के आधार पर ही चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 को हटाना और राम मंदिर का निर्माण हमारे मानबिन्दु हैं। जिस तरह से देश में सब काम हो रहे हैं, लोग भाजपा की क्षमता को भी समझ रहे हैं। सबसे अच्छी बात है कि अब लोगों में राष्ट्र के प्रति जागरूकता आ रही है। अब गांव-गांव में चर्चा होने लगी है कि हमारे गांव से किसने आजादी के आंदोलन में भाग लिया। 
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राजनीति में बदलाव तो आया, मगर... : पिछले कुछ दशकों में राजनीति में किस तरह के बदलाव आए हैं? निश्चित समय के साथ बदलाव तो आए हैं, लेकिन मैंने जब पहला चुनाव लड़ा तो मुझे पूरा सम्मान मिला। मुझे नहीं लगा कि कोई मुझे शंका की दृष्टि से देख हो, या किसी को लगा हो कि यह महिला क्या करेगी? हो सकता है कि उन्होंने डिप्टी मेयर के रूप में मेरा काम देखा हो या फिर सामाजिक रूप से या फिर संगठन में मेरा काम देखा हो। मुझे जितना सम्मान मिलना चाहिए था, वह मिला है। 


ताई ने कहा कि यदि आप विकास की दृष्टि से मेहनत करते हैं तो सभी लोग आपकी मदद करते हैं। उसमें पक्ष या विपक्ष नहीं होता। इंदौर शहर में तो यह बिलकुल भी दिखाई नहीं देता। 
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अटलजी कहते थे : राजनीति में घटते सद्भाव से जुड़े प्रश्न पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि मर्यादा के बंध ढीले हुए हैं, लेकिन हम स्व. प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को ध्यान में रखने वाले लोग हैं। वे कहते थे कि टीका-टिप्पणी ऐसी करो कि बाद में भी प्रेम से मिल सको। ये भाव हमें फिर से लाना होगा। हालांकि कुछ मामलों को छोड़ दें तो दोनों ही पक्षों में संयम से बोलने वाले लोग हैं। आज भी अच्छे और अनुभवी लोग हैं, कुछ लोगों की राजनीतिक समझ में सुधार करने की भी जरूरत है।
 
 

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