Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

बजट 2021-22 : रोजगार बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्था की खोज जरूरी

बजट 2021-22 : रोजगार बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्था की खोज जरूरी
webdunia

प्रकाश बियाणी

मोदी सरकार के 10 साल 2014 से 2024 को कोरोना ने 2 हिस्सों में बांट दिया है। पहले दौर के वित्तमंत्री अरुण जेटली अनुभवी राजनेता, रणनीतिकार और कॉर्पोरेट लायर थे। उन्होंने बैंकों के कर्ज की वसूली के लिए सख्त कानून बनाया, नोटबंदी की जोखिम उठाई, जीएसटी जैसा जटिल टेक्स रिफार्म लागू किया। इकानामी ग्रो हुई पर जॉब लेस। उनके निधन के बाद वित्त मंत्रालय निर्मला सीतारमण को मिला। मुद्रा योजना, स्किल डेवलपमेंट, स्टार्ट अप्स के जरिए उन्होंने स्वरोजगार को प्रमोट किया। उनके इन प्रयासों के सुफल मिलने लगे थे कि सारी दुनिया की हेल्थ और इकानामी को कोरोना ने संक्रमित कर दिया।

दुनिया के 180 देशों ने महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन किया। जिस देश ने जितना सख्त लॉकडाउन किया वहां उतनी ज्यादा जानें बचीं, पर उतनी ही ज्यादा अर्थव्यवस्था ध्वस्त हुई। हर देश ने मैन्युफैक्चरिंग जारी रखने और मांग बनाए रखने के लिए आर्थिक पैकेज घोषित किए। निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपए मार्केट में पहुंचाने के जतन किए। इनमें से सूक्ष्म, छोटे और मद्यम उद्योगों, छोटे किसानों और स्ट्रीट वेंडर्स को बैंकों के जरिए 6 लाख करोड़ रुपए मिलना थे। बैंकों ने बड़े उद्योगों को तो उनका हिस्सा दे दिया, पर छोटे उद्यमी और स्ट्रीट वेंडर्स बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में गरीबी का स्तर बढ़ा था। 2020 में कोरोना ने अमीरी और गरीबी की खाई और गहरी कर दी।

हमारे लिए कोरोना अभिशाप के साथ वरदान भी बना है। चीन से रुष्ट दुनिया ने मान लिया है कि एशिया में चीन का विकल्प भारत है। इसी उम्मीद के साथ निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करने जा रही हैं। सितंबर के बाद इकानामी ने करवट भी ले ली है। मार्च से सितंबर तक जीएसटी कलेक्शन हर माह एक लाख करोड़ से कम हुआ था। अक्टूबर से दिसंबर के तीन महीने में यह 3.25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हुआ है।

विदेशी निवेशकों का भारतीय कंपनियों पर भरोसा बढ़ने से शेयर मार्केट में 1.40 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश आया है। हम कह सकते हैं कि इकानामी संभलने लगी है, पर यह फिर जॉब लेस ग्रोथ है। कर वसूली बढ़ने या शेयर मार्केट दौड़ने से देश में रोजगार के अवसर नहीं बढ़ेंगे। इसके लिए तो देश को चीन की तरह ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनना पड़ेगा। इससे से ही आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न भी साकार होगा।

यही निर्मला सीतारमण की सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए इस बजट में उन्हें देश में 'इज ऑफ़ डूइंग' बिजनेस माहौल बनाना है। मैन्युफैक्चरिंग के लिए 'सिंगल विंडो' अनुमति सिस्टम विकसित करना है। इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर भारी खर्च करना है। कोरोना के बाद हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर पर, तो सीमा पर पड़ोसी दुश्मन देशों का मुकाबला करने के लिए डिफेंस पर खर्च बढ़ाना वित्तमंत्री की विवशता है।
प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि 140 करोड़ भारतीयों को कोरोना वैक्‍सीन फ्री मिले। इसके लिए वित्तमंत्री को 65 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बंदोबस्त करना है। संभावना है कि इस खर्च के लिए वे उपकर या अधिभार लगाएं। कॉर्पोरेट वर्ल्ड को कर में भारी राहत पहले ही मिल चुकी है इसलिए उन्हें इस बजट से कोई उम्मीद नहीं है। मध्यमवर्गीय परिवारों को कोरोना आर्थिक पैकेज में भी कुछ नहीं मिला था। वे आयकर में राहत की उम्मीद कर रहे हैं। उन्हें हेल्थ और लाइफ इंशुरेंस प्रीमियम पर छूट मिलेगी।

किसान दिल्ली को घेरकर बैठे हुए हैं। इनमें कितने असली किसान हैं, कितने नकली, इस बहस से बचते हुए मोदीजी का फ़ोकस बहुसंख्यक छोटे किसान हैं जो इस बात से खुश हैं कि सरकारी राहत अब बिना कटौती सीधे उनके बैंक खातों में जमा होने लगी है। कोरोना ने रेल के चक्के जाम किए। इंडियन रेलवे ने यात्रा किराए और माल ढुलाई की कमाई खोई, पर वित्तमंत्री चाहती हैं कि रेलवे निजीकरण से पूंजी जुटाए। उनसे सीमित मदद ही मिलेगी।

विनिवेश के लक्ष्य इस साल भी पूरे नहीं हुए हैं। सरकार एयर इंडिया या बीपीसीएल की इक्विटी नहीं बेच पाई। शेयर मार्केट में तेजी के दौर में वित्तमंत्री इनके साथ अन्य सरकारी कंपनियों की इक्विटी और अनयूज्ड लेंड्स बेचकर पूंजी जुटाना चाहेगी। केंद्र सरकार ने चालु वित्त वर्ष में उधारी का लक्ष्य 50 प्रतिशत बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपए कर दिया है।

वित्तीय घाटा पिछले साल से दोगुना 6 फीसदी से ज्यादा रहने का अनुमान है। कोरोना वैक्‍सीन आने और कोरोना संक्रमण घटने से इकानामी संभलने की उम्मीद है, पर देश को ऐसी रोजगार के अवसर बढ़ाने वाली ग्रोथ चाहिए। ग्लोबल इकानामी का हिस्सा बनने के बाद संपदा का समान वितरण किताबी बातें है, पर संपन्न भी सुखी और सुरक्षित तब ही हैं, जब उनके आसपास भुखमरी न हो।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

रैली में शामिल भाजपा कार्यकर्ताओं पर कोलकाता में पथराव