कार्तिक चतुर्दशी : करें पितरों के निमित्त तर्पण
कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना कि जाती है। इसके साथ ही भगवान कार्तिकेय, राधा-दामोदर, तुलसी-शालिग्राम का पूजन भी किया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन क्या करें...
कार्तिक माह के दौरान जिन लोगों ने मासपर्यंत व्रत या संकल्प नहीं किया है, वह कार्तिक चतुर्दशी व पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्थान पर जाकर राधा-दामोदर का विशेष पूजन कर सकते हैं। कार्तिक मास में राधा-दामोदर के साथ शालिग्राम तथा तुलसी के पूजन का विशेष महत्व है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन सुपिंडी श्राद्घ का काफी महत्व है। इस दिन पितरों के निमित्त सिद्घवट व रामघाट पर सुपिंडी श्राद्घ दान किया जाता है। खास तौर पर यह पूर्वजों के आत्मा की शांति व घर में सुख-समृद्घि के लिए तर्पण दान एवं पिंडदान किया जाता है।
* निर्णय सिंधु की मान्यता के अनुसार कार्तिक चतुर्दशी पर सर्वप्रथम तीर्थ स्नान करें।
* तपश्चात राधा-दामोदर या शालिग्राम-तुलसी का पूजन करके पितरों के निमित्त तर्पण व सुपिंडी श्राद्घ करें।
* राधा-दामोदर का पूजन सुहागिन स्त्रियों के लिए चिर सौभाग्यदायक होता है।
* तुलसी-शालिग्राम का पूजन परिवार में सुख, शांति, समृद्घि के लिए किया जाता है।
* पितरों के निमित्त तर्पण व सुपिंडी श्राद्घ करने से सुख की प्राप्ति तथा उच्च वंश को आगे बढ़ाने वाला माना गया है।
* राधा-दामोदर, शालिग्राम तथा तुलसी तथा भगवान कार्तिकेय का पूजन करें।