Yashoda jayanti date time year 2024: उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि को मां यशोदा की जयंती मनाई जाती है, जबकि अमान्त चंद्र कैलेंडर के अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र तथा दक्षिण भारतीय राज्यों में माघ चंद्रमास में यह जयंती मनाते हैं। हालांकि दोनों ही कैलेंडर के अनुसार यह जयंती एक ही दिन रहती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 मार्च 2024 को यशोदा मैया का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
1. ब्रजमंडल में सुमुख नामक गोप की पत्नी पाटला के गर्भ से यशोदा का जन्म हुआ।
2. उनका विवाह गोकुल के प्रसिद्ध व्यक्ति नंद से हुआ। कहते हैं कि यशोदा वैष्य समाज से थीं।
3. यशोदा ने श्रीकृष्ण और बलराम के पालन-पोषण की भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इतिहास में श्रीकृष्ण की माता देवकी और बलराम की माता रोहिणी की कम लेकिन यशोदा की चर्चा ज्यादा होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने माखन लीला, ऊखल बंधन, कालिया उद्धार, पूतना वध, गोचारण, धेनुक वध, दावाग्नि पान, गोवर्धन धारण, रासलीला आदि अनेक लीलाओं से यशोदा मैया को अपार सुख दिया।
4. माता यशोदा की एक पुत्री का का नाम एकांगा या एकानंशा था जो योगमाया थीं। यही योगमाया आगे चलकर विंध्यवासिनी देवी के रूप में विख्यात हुई। वसुदेवजी बालकृष्ण को लेकर कारागार से निकलकर यमुना पार कर गोकुल पहुंचे और उन्होंने उसी रात को बालकृष्ण को यशोदा मैया के पास सुला दिया और वे उनकी पुत्री को उठाकर ले आए थे।
5. प्रचलित मान्यता अनुसार श्री राधा का पति यशोदा का भाई रायण था जो कंस की सेना में था।
6. श्रीकृष्ण की 11 वर्ष 6 महीने तक माता यशोदा के महल में लीलाएं चलती रहीं। इसके बाद कृष्ण को मथुरा ले जाने के लिए अक्रूरजी आ गए। यह घटना यशोदा के लिए बहुत ही दुखद रही। यशोदा विक्षिप्त-सी हो गईं थीं क्योंकि उनका पुत्र उन्हें छोड़कर जा रहा था। कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद जब भगवान कृष्ण अपनी मां यशोदा से मिलने गए तो वे अपनी आखरी सास ले रही थी।