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Mahalakshmi vrat 2024: महाराष्ट्रीयन महालक्ष्मी व्रत के 3 दिन क्या करते हैं?

jyeshtha gauri  Mahalakshmi vrat 2024

WD Feature Desk

, सोमवार, 9 सितम्बर 2024 (12:58 IST)
Maha lakshmi 2024: महालक्ष्मी व्रत, गणेश चतुर्थी के चार दिन पश्चात् अर्थात भाद्रपद माह के शुक्ल अष्टमी से प्रारम्भ होता है। इस व्रत और उत्सव को महाराष्ट्रीयन परिवार तीन दिनों तक मनाते हैं, जबकि कई क्षेत्रों में यह 14 या 16 दिनों तक रहता है। आओ जानते हैं कि महाराष्‍ट्र में किस तरह तीन दिन महालक्ष्मी विराजती हैं।ALSO READ: Maha lakshmi 2024: महालक्ष्मी व्रत कब से होंगे प्रारंभ, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
 
नोट : भाद्रपद में महालक्ष्मी का जो व्रत रखा जाता है उसे ज्येष्ठा गौरी व्रत भी कहते हैं, जबकि मार्गशीर्ष माह के सभी गुरुवारों को भी महालक्ष्मी का व्रत रखा जाता है। दोनों ही व्रतों को रखने की तिथि और परंपरा अलग-अलग है। तीन दिनों तक मनाई जाने वाली इस ज्येष्ठा गौरी पूजा में भाद्रपद शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र में आगमन होता है, ज्येष्ठा नक्षत्र में पूजा और भोग होता है एवं मूल नक्षत्र में उनका विसर्जन होता। इस बार अनुराधा नक्षत्र 10 सितंबर को रहेगा। इस दिन सप्तमी और अष्टमी का संयोग है।
 
भाद्रपद माह में, शुक्ल पक्ष में, अनुराधा नक्षत्र में कुलाचार के अनुसार महालक्ष्मी/गौरी की प्रतिमा या प्रतीक स्थापित किये जाते हैं। ज्येष्ठा नक्षत्र में महालक्ष्मी का पूजन और महानैवेद्य किया जाता है। तीसरे दिन मूल नक्षत्र में महालक्ष्मी का विसर्जन किया जाता है। गौरी को स्वयं महालक्ष्मी कहा जाता है और चूँकि उनकी पूजा ज्येष्ठा नक्षत्र में की जाती है इसलिए उन्हें ज्येष्ठा गौरी कहा जाता है।
 
1. पहला दिन आगम : पहले दिन मां महालक्ष्मी का आह्वान करते हैं जब उनका आगमन होता है और उन्हें विराजमान करके उनकी पूजा करते हैं। इस बार 10 सितंबर को आगम रहेगा।
 
2. दूसरा दिन भोग : इस दिन मां महा लक्ष्मी को सभी तरह के भोग लगाएं जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। इस बार 11 को महानवमी और भोग रहेगा। मुख्य पूजा 11 सितंबर 2024 बुधवार को रहेगी। 
 
3. तीसरा दिन विसर्जन : इस दिन माता लक्ष्मी की विदाई होती हैं यानी विसर्जन‍ किया जाता है। 12 सितंबर 2024 को विसर्जन होगा
 
4. 16 दिनी व्रत : कुछ परिवारों में महालक्ष्मी व्रत निरन्तर सोलह दिनों तक मनाया जाता है। इस बार 10 सितंबर से 24 सितंबर मंगलवार तक यह व्रत चलेगा। 
 
अष्टमी तिथि प्रारम्भ- 10 सितम्बर 2024 को रात्रि 11:11 बजे से।
अष्टमी तिथि समाप्त- 11 सितम्बर 2024 को रात्रि 11:46 बजे तक।
 
महालक्ष्मी व्रत प्रारम्भ बुधवार, सितम्बर 10, 2024 को
महालक्ष्मी व्रत पूर्ण मंगलवार, सितम्बर 12, 2024 को

ज्येष्ठा गौरी स्थापना के शुभ मुहूर्त:
ज्येष्ठ गौरी आगमन: 10 सितम्बर मंगलवार  2024 को
ज्येष्ठ गौरी आवाहन स्थापना: सुबह 06:25 से 06:45 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त में आवाहन स्थापना: दोपहर 12:10 से 01:00 के बीच।
अनुराधा नक्षत्र प्रारम्भ: 09 सितम्बर 2024 को शाम 06:04 बजे से।
अनुराधा नक्षत्र समाप्त: 10 सितम्बर 2024 को रात्रि 08:04 बजे तक।
उपरोक्त समय में ज्येष्ठा गौरी को विराजमान कर सकते हैं।
 
ज्येष्ठ गौरी पूजा और भोग 11 सितंबर बुधवार 2024 को होगा।
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन 12 सितंबर बृहस्पतिवार को होगा।
 
महालक्ष्मी व्रत मुख्‍य पूजा 11 सितंबर 2024 के शुभ मुहूर्त:-
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 04:32 से 05:18 तक।
प्रातः सन्ध्या- प्रात: 04:55 से 06:04 तक।
अमृत काल- दोपहर 12:05 से 01:46 तक। 
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:22 से 03:12 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:31 से 06:54 तक।
सायाह्न सन्ध्या- शाम 06:31 से 07:40 तक।
उक्त समय में कभी भी कर सकते हैं पूजा। वैसे अमृत काल में पूजा करना शुभ रहेगा।
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क्यों करते हैं व्रत? 
यह व्रत धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इससे घर में सुख, शांति के साथ ही समृद्धि बनी रहती है। महाराष्ट्रीयन परिवारों में भाद्रपद माह में महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए ज्येष्‍ठा गौरी की पूजा करती हैं।
 

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